Monday, March 23, 2015

तौबा...तौबा...हैप्पी न्यू ईयर


सुमित राठौर
चौराहे पर चार लड़कों की चीख पुकार सुनकर हम तुरंत दौड़े-दौड़े घटनास्थल पर पहुंचे। रात की बात थी, इसलिए हम अपने साथ रामदीन काका को भी लेकर पहुंचे। काका हमारे मोहल्ले के सबसे सुलझे हुए और समझदार व्यक्ति माने जाते हैं। काका का अनुभव कई बार हमारे काम आया है, इसलिए हम ऐसी मुसीबत के वक्त उन्हें साथ जरूर ले लेते हैं। काका के उपदेशों के कारण अच्छे-अच्छे सुधर जाते हैं। काका तो इतने आत्मविश्वासी हैं कि वह तो कई बार कहते भी हैं कि ये नवाज शरीफ एक बार मेरे सामने बैठ जाए तो उसकी दुम भी सीधी कर सकता हूं। नवाज को इतना सीधा कर दूंगा कि वह कभी भी न तो कश्मीर मांगेगा और न ही भारत की ओर आंख उठाकर देखेगा। गजब का आत्मविश्वास है उनका। आम आदमी पार्टी के नेता उतनी चिकनी चुपड़ी बातें नहीं करते होंगे जितनी कि चिकनी बातें हमारे काका के दिमाग में रहती हैं। खैर छोड़ो...। मैं तो आपको चार लड़कों की बात बताने वाला था। चौराहे पर पहुंचे तो देखा कि चारों के चारों सड़क पर गिरे पड़े थे। मैं पास पहुंचा तो देखा कि मोटर साइकिल एक थी और सवारी चार। सभी युवा और बड़े घर के बिगड़े हुए बेटों की तरह दिखाई दे रहे थे। लेकिन आज जब उनका एक सिपाही से सामना हुआ तो सारी हैकड़ी निकल गई। सिपाही के साथ बदतमीजी करने पर ऐसा हाल हुआ होगा ऐसा मैं और काका सोच रहे थे। चारों ने इतनी शराब पी रखी थी कि उनसे 'अपने पैरों पर खड़ा' ही नहीं हुआ जा रहा था। उन लड़कों में से एक गंजे लड़के से पूछा तो उसने बताया कि वे लोग हैप्पी न्यू ईयर मनाकर लौट रहे थे। हम चारों एक ही मोटर साइकिल पर थे। हम हो-हल्ला...हैप्पी न्यू ईयर चिल्लाते हुए बहुत तेज गति में गाड़ी दौड़ा रहे थे। अचानक चौराहे पर गाड़ी मोड़ते वक्त सिपाही में ही टक्कर मार दी। इस बात से नाराज सिपाही ने हम चारों को बहुत बुरी तरह से धुन दिया।
काका उस लफंगे गंजे लड़के की बात सुनकर पहले तो जोर-जोर से हंसने लगे। काफी देर तक हंसने के बाद फिर उन्होंने अपने उपदेश देना शुरू कर दिए। काका ने समझाते हुए कहा कि तुम लड़के भी न... कभी नहीं सुधरोगे। किस बात का हैप्पी न्यू ईयर... हो गई न धुनाई...। शराब पीना, हुड़दंग करना...यह सब अंग्रेजों को शोभा देता है हम भारतीयों को नहीं। रात को पार्टी नहीं रात को सोया जाता है। अंग्रेजों के पास पैसा है चैन नहीं है। वह चैन की नींद नहीं सो पाते हैं, और तुम भी गधे की तरह उनकी तरह मस्ती में डूबे रहते हो। और तुमसे यह किसने कह दिया कि नये साल की पूर्व संध्या पर रात भर शराब पियो और मस्ती में जियो। अरे मनाना है तो हिन्दू नव वर्ष मनाओ...। नव संवत्सर...। कहां अंग्रेजों के पीछे भाग रहे हो। तुम्हारी ठुकाई हुई तो कौन सा अंग्रेज तुम्हें बचाने के लिए आ गया। जरा सोचो तुम जो हैप्पी न्यू ईयर मनाते हो वह तो सूरज डूबने के बाद शुरू होता है। नव संवत्सर को लोग सूर्य की पहली किरण के साथ मनाते हैं। साल के पहले दिन सूर्य की ऊर्जा से वर्ष की शुरुआत होती है। नव संवत्सर पर हमारी परंपरा का प्रतीक है। नये वर्ष में नये संकल्प लो और अपनी जिंदगी की अच्छी शुरुआत करो। अपना नया वर्ष पर देखो कहीं कोई हुड़दंग नहीं, शांति के साथ पूरा दिन बीत जाता है। अपने संस्कारों को बचाने के लिए हमें यही नया वर्ष मनाना है सोच लो...।
 काका की बातें सुनकर बाकी और तीन छोकरों में भी जान आ गई। सभी बोले काका आज हमें एक बात तो समझ आ गई है कि यदि हम 'हैप्पी न्यू ईयर' नहीं मनाते तो आज हमारी इतनी धुनाई नहीं होती। आज से ऐसे न्यू ईयर से तो तौबा...तौबा...। उनके तौबा...तौबा... करते ही हमने काका के लिए तालियां बजाकर कहा काकाजी वाह...वाह...!!