Tuesday, June 5, 2012

तुम क्या जानो पेट्रोल की कीमत!


        भारत बहुत तरक्की कर रहा है। तरक्की हर क्षेत्र में हो रही है। फिर वह चाहे पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि का मामला ही क्यों न हो!! खाना, रहना, चलना, दौडऩा, पढऩा हर क्षेत्र में हम ऊंचाई की ओर बढ़ रहे हैं। हमारी सरकार ने जिस प्रकार से साल दर साल पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाए हैं वह भारत के लोगों की तरक्की की ओर ही तो इशारा करते हैं। यह तरक्की नहीं तो और क्या है कि हम पहले 44 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल फूंकने में सक्षम थे और आज लगभग 80 रुपए प्रति लीटर फूंकने में भी उतने ही सक्षम हैं। जिस प्रकार पेट्रोल की कीमतें बढ़ रही हैं उससे भविष्य कैसा होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सबसे पहले बात शिक्षा से शुरू करते हैं। स्कूल की कीताबों में गणित के जो सवाल रहेंगे उनमें कुछ पेट्रोल से संबंधित भी रह सकते हैं। प्रश्न होगा कि 3 साल में सरकार ने 16 बार दाम बढ़ाकर 44 रुपए के पेट्रोल को 80 रुपए में बेचा तो अगले 10 साल में पेट्रोल की कीमत क्या होगी? दूसरा सवाल यह भी पूछा जा सकता है कि एक पेट्रोल कंपनी के मालिक ने नुकसान का ढोल पीटकर एक साल में दस करोड़ रुपए कमाए तो वह 5 साल में कितने रुपए कमाएगा? हिन्दी विषय में विद्यार्थियों से निबंध लिखने को भी कहा जा सकता है। इसका विषय 'पेट्रोल-डीजल के फायदे नुकसान पर अपने विचार व्यक्त कीजिए', भी हो सकता है। स्कूल में पढ़ाने वाले मास्टर जी बच्चों को ट्यूशन पढक़ार उनसे फीस के रूप में रुपए न लेकर पेट्रोल मंगाया करेंगे। अब फिल्मी दुनिया में आते हैं। फिल्मों में संवाद भी कुछ अलग तरीके से खिले एवं बोले जाएंगे। फिल्मों में एक नायक-दूसरे नायक से जब यह सवाल करेगा कि मेरे पास गाड़ी, बंगला है और तुम्हारे पास क्या है? तो दूसरा नायक कहेगा 'मेरे पास पेट्रोल है'!! फिल्म ओम शांति ओम की तरह एक संवाद जिसमें नायिका-नायक से कहेगी कि-एक बूँद पेट्रोल की कीमत तुम क्या जानो चुन्नी बाबू...। नकारात्मक भूमिका निभाने वाले कलाकारों को बड़ी-बड़ी गाडिय़ों में दिखाने की घोड़ों पर दौड़ता हुआ फिल्माया जाएगा। शादी जैसे सामाजिक कार्य में भी पेट्रोल बड़ा अहम भूमिका अदा करेगा। दहेज लेने की परंपरा तो बंद नहीं होगी, वर पक्ष-वधु पक्ष से यह मांग एक और बढ़ा देगा कि मेरे बेटे को चार पहिए की गाड़ी तो चाहिए ही, साथ ही 100 लीटर पेट्रोल भी देना होगा। इतना ही नहीं बारातियों का स्वागत भी कम से कम 5 लीटर पेट्रोल देकर किया जाए। पेट्रोल देने के बाद ही बात आगे बढ़ेगी। हां! भ्रष्टाचार में भी पेट्रोल के लेन-देन का इस्तेमाल किया जा सकता है। नोट नहीं बल्कि पेट्रोल का इस्तेमाल किया जाएगा। किसी भी सरकारी कार्यालय का बाबू काम करने के बदले में रिश्वत तो लेगा लेकिन वह पेट्रोल के रूप में होगी। बाबू या अधिकारी संबंधित व्यक्ति को स्कूटर या मोटरसाइकिल की चाबी देते हुए बड़े निवेदन के साथ कहेंगे-कृपया इसमें पांच लीटर पेट्रोल डलवा दीजिए आपका काम हो जाएगा। रिश्वत देने वाला व्यक्ति स्वयं इस बात के प्रलोभन देगा कि साहब! आप मेरा यह एक छोटा सा काम करा दें तो मैं आपकी गाड़ी का टेंक फुल करा दूंगा। न जाने क्या-क्या उपयोग करेंगे लोग पेट्रोल का। चुनाव के समय जिंदाबाद, मुर्दाबाद के नारे लगाने वाले लोगों को पेट्रोल का लालच देकर बुलाया जाएगा। पूरे देश में पेट्रोल की अहमियत पहचानी जाएगी। पेट्रोल परेशानी नहीं बल्कि हर समस्या का समाधान होगा। लेकिन समस्या यह है कि लोग पेट्रोल की मूल्य वृद्धि को तरक्की मान ही नहीं रहे हैं। गरीबी रेखा की नई परिभाषा के हिसाब से भी देखा जाए तो गाड़ी चलाना वाला हर व्यक्ति अमीर है, क्योंकि वह 80 रुपए का पेट्रोल भरवा सकता है तो एक दिन में कितने कमाता होगा समझा जा सकता है। गरीबी रेखा में तो 32 रुपए शहर में और 26  रुपए गांव में प्रतिदिन कमाने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है। तो भाई साहब! आप खुद सोच सकते हो कि आप कीतने अमीर हो गए हैं! इसलिए देश तरक्की कर रहा है...इसे तरक्की करने दें!!

2 comments:

  1. स्कूल की कीताबों में गणित के जो सवाल रहेंगे उनमें कुछ पेट्रोल से संबंधित भी रह सकते हैं। प्रश्न होगा कि 3 साल में सरकार ने 16 बार दाम बढ़ाकर 44 रुपए के पेट्रोल को 80 रुपए में बेचा तो अगले 10 साल में पेट्रोल की कीमत क्या होगी? दूसरा सवाल यह भी पूछा जा सकता है कि एक पेट्रोल कंपनी के मालिक ने नुकसान का ढोल पीटकर एक साल में दस करोड़ रुपए कमाए तो वह 5 साल में कितने रुपए कमाएगा? हिन्दी विषय में विद्यार्थियों से निबंध लिखने को भी कहा जा सकता है। इसका विषय 'पेट्रोल-डीजल के फायदे नुकसान पर अपने विचार व्यक्त कीजिए', भी हो सकता है। स्कूल में पढ़ाने वाले मास्टर जी बच्चों को ट्यूशन पढक़ार उनसे फीस के रूप में रुपए न लेकर पेट्रोल मंगाया करेंगे।
    बहुत बढिय़ा सुमित भाई।

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