Monday, April 2, 2012

मुँहवाद कराने वाले मुहावरे



           आज हिन्दी की मैडम की बहुत याद आ रही है। उनकी याद आने का कारण यह है कि उन्होंने मुहावरों का प्रयोग करना तो बता दिया लेकिन इनका प्रयोग कहां करना है और कहां नहीं करना है, यह नहीं बताया! मुझे लगता है कि टीम अण्णा के सदस्य मनीष सिसौदिया की मैडम ने भी उन्हें ठीक ढंग से मुहावरों का प्रयोग करना नहीं सिखाया। अगर सिखाया होता तो वह कभी भी संघर्षशील, लग्नशील जैसे राजनेता शरद यादव के लिए 'चोर की दाढ़ी में तिनका' वाले मुहावरे का प्रयोग नहीं करते!
            इस एक मुहावरे के कारण संसद में सांसदों ने कितना हो हल्ला किया यह हमने देखा। मुलायम सिंह यादव, लालू प्रयाद यादव, संजय निरुपम, सुषमा स्वराज जैसे लगभग सभी सांसदों ने इस मुहावरे पर काफी गुस्सा किया। गुस्सा व्यक्त कर टीम अण्णा को चेतावनी दी गई कि वे संसद और सांसदों की मर्यादाओं का सम्मान करें।
           देश में तरह-तरह के कानून बनाने वाले इन नेताओं की चेतावनी को हवा में नहीं उड़ाना चाहिए। भोलीभाली जनता को सावधान रहने की जरूरत है। इसलिए आप भी सावधान हो जाइए। मैं भी हो चुका हूं। टीम अण्णा के सदस्य मनीष सिसौदिया से यही कहना है कि अब वे कभी भी 'चोर की दाढ़ी में तिनका' वाले मुहावरे का प्रयोग न ही करें तो अच्छा है। इस मुहावरे के प्रयोग से हमारे सांसदों का अपमान होता है।
          लेकिन मनीष सिसौदिया को भी निराश होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि 'चोर' शब्द का मुहावरा एक ही थोड़े ही है। हमारे पास तो ऐसे ढेरों मुहावरे और लोकोत्तियां हैं जिनका प्रयोग होते हमने कई बार अनुभव भी किया है और देखा भी है।
           इसी प्रकार एक और मुहावरा है- 'चोर-चोर मौसेरे भाई'। इस मुहावरे का अर्थ होता है कि दो चोर एक दूसरे के भाई जैसे होते हैं। ठीक  उसी प्रकार जिस प्रकार संसद में सभी भाई-बहन की तरह इकट्ठा हो गए थे और इकट्ठा होकर टीम अण्णा के खिलाफ संसद की गरिमा को याद दिला रहे थे। लेकिन संसद की गरिमा उस वक्त कहां जाती है जब सांसद एक-दूसरे के प्रति अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं, कुर्सियां और माइक तोड़ा जाता है। लोकसभा की आसंदी को घेरा जाता है।
           अगला मुहावरा 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे' भी है। अब देखो न, एक तो कालाधन वापस नहीं ला रहे, भ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल बिल नहीं ला रहे, आतंकवादियों से सुरक्षा नहीं हो रही, महंगाई पर अंकुश नहीं है, बल्कि उल्टा जनता को ही सबक सिखाया जा रहा है। विरोध करने पर लाठियों से पीटा जा रहा है।
          'चोरी और सीना जोरी' भी इसी तरह का एक मुहावरा है। एक तो देश में इतने बड़े-बड़े घोटाले हो रहे हैं दूसरी ओर जो घोटालों को उजागर कर रहे हैं उन्हें ही मुल्जिम की तरह संसद में लाने की बात हो रही है। यह कैसे चलेगा? यह तो 'चोरी और सीना जोरी' ही हुई ना?
          चोर कहीं भी रह सकता है। एक चोर ऐसा भी होता है जो दिल में रहता है तब उसे कहा जाता है 'दिल में चोर होना'। हम जानते हैं कि हमारे सांसद जनलोकपाल बिल और कालाधान वापस लाने में इतनी उदासीनता क्यों बरत रहे हैं। क्योंकि उनके लिए भी दिल में एक चोर बैठा है, जो कब भागेगा पता नहीं।
दोषी व्यक्ति अपने आप फंस जाता है। जब इस बात को कहना हो तो कहते हैं 'चोर के पैर पोले' मुहावरे का प्रयोग किया जाता है। कई बार देखने में आता है कि सुरेश कलमाड़ी, ए.राजा जैसे नेता जेल की हवा खा चुके हैं, अगर इनके पैर पोले नहीं होते तो कितना अच्छा होता।
          इसी प्रकार कई और मुहावरें और लोकोत्तियां भी हैं जिनका प्रयोग भी हम कभी भी कर सकते हैं। जैसे- 'चोर चोरी से जाए-हेरा फेरी से न जाए','चोरी का धन मोरी में', 'ककड़ी के चोर को फांसी नहीं दी जाती' और धोबी के घर पड़े चोर, वह न लुटा लुटे और
           अब सोच रहा हूं कि हिन्दी वाली मैडम मिल जाएं तो एक बार पूछ लूं कि क्या इन 'चोर' शब्द वाले मुहावरों का प्रयोग हम सार्वजनिक मंच पर कर सकते हैं? इन मुहावरों से हमारे देश के कर्णधारों के दिल पर, दिमाग पर ठेस तो नहीं पहुंचेगी। कहीं हमारे संर्घषशील, जुझारू, विद्वान राजनेता नाराज तो नहीं हो जाएंगे। मैं तो मैडम को ढूंढऩे की कोशिश कर ही रहा हूं, अगर आपको मिल जाएं तो कृपया पूछकर मुझे अवश्य बताएं।


3 comments:

  1. Bhai jaan Enke liye toh mai yahi kahunga next time kush v bole toh ye line jarur dhiyan rakhe-

    Aisi vaani boliye,

    Maan ka aapa khoye,

    Auran bhi sheetal hoye,

    Aaphun sheetal hoye.



    Meaning:

    Speak so sweetly, that everyone loves to listen you. Never hurt anyone. You must think before, you say something to anyone. When you hurt someone, that person hates you. You can loose your loved ones also if you keep on hurting them like this......

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  2. बढ़िया साहब... नेताओं को कोई कुछ न कहे चले तो ये कुछ भी करते रहें...

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