Sunday, January 1, 2012

आओ जन्मदिन मनाएं




अच्छा!! तुम हमारी पार्टी में शामिल होना चाहते हो...।
जी सर!
ऐसी बात है तो फिर मेरे एक सवाल का जवाब दो।
हां सर पूछिए!
अच्छा ये बताओ कि हमारी पार्टी के अध्यक्ष का जन्मदिन कब आता है?
हें सर, ये कैसा सवाल है.....।
कैसा क्या मतलब, सवाल है जवाब दो। जवाब नहीं तो जाइये कहीं ओर, दूसरी पार्टी ज्वाइन कीजिए।
तुम्हें शर्म आनी चाहिए यार.... तुम हमारी पार्टी से जुडऩा चाहते हो और हमारे अध्यक्ष के जन्मदिन के बारे में भी नहीं पता।
हां... भई अगला कौन है? जल्दी आओ....!!!
नमस्कार सर।
हां..हां.. नमस्कार।
बैठो।
तो तुम भी हमारी पार्टी में आना चाहते हो। चलो बताओ की हमारे अध्यक्ष का जन्मदिन कब आता है।
सर  पता नहीं।
पता नहीं है तो क्यों हमें परेशान करने चले आते हो...। न जाने कहां..कहां.. से चले आते हैं।
लल्लू तुम्हें पता है...आज से 35 साल पहले मुझे कोई नहीं जानता था। लेकिन आज सभी जान गए हैं कि मुझे जन्मदिन मनाने का मास्टर कहते हैं। 35 सालों से अपने अध्यक्ष जी का जन्मदिन मना रहा हूं। हर साल कुछ न कुछ नया करता रहता हूं। इस बार देखना 1 क्विंटल का केक बनवा रहा हूं। शहर के सभी कार्यकर्ताओं को बंटेगा। केक के साथ-साथ पूरे शहर को होर्र्डिंग्स और बैनर से ढक दिया जाएगा। आतिशबाजी होगी। तू देखना बस।  आप सही कहते हो गुप्ता जी। आपको काफी समय पार्टी की सेवा करने के बाद जिलाध्यक्ष की कुर्सी का प्रसाद मिला है। हां लल्लू यह प्रसाद बहुत कम लोगों को मिल पाता है। मैंने इसके लिए काफी मेहनत की है। हा..हा..हा..हा..।
क्या मैं अंदर आ सकता हूं सर....।
हां. आ जाओ।
क्या बात है पार्टी ज्वाइन करने आए हो?
हां सर!
अच्छा ये बताओ हमारे अध्यक्ष का जन्मदिन कब आता है?
सर मुझे तो अपना जन्मदिन ही ठीक से याद नहीं, अध्यक्ष का क्या याद रखूंगा।
मजाक उड़ा रहे हो।
नहीं सर सच्ची में मुझे आज तक अपना जन्मदिन ही नहीं मालूम।
आपको पता है क्या आपका जन्मदिन।
बड़ा बेशर्म है मुझसे ही सवाल करता है। चल भाग यहां से....।
क्या बात है गुप्ता जी आप इतना नाराज क्यों हो गए। उसे बता देते न तुम्हारा जन्मदिन कब आता है।
तुम ठीक कहते हो लल्लू लेकिन असल बात यह है कि मुझे भी अपना जन्मदिन नहीं मामूल।
सच बताऊं तो मुझे अपने पिताजी, माताजी, पत्नी, बेटे और परिवार के किसी भी सदस्य के जन्मदिन कब आता है पता नहीं।
लेकिन दुर्भाग्य है कि इन राजनीतिक पार्टियों में अपने परिवार को छोड़कर अपने आकाओं का जन्मदिन को याद रखना पड़ता है। पिताजी, माताजी का जन्मदिन तो भले ही एक बार भूल जाएं लेकिन इनका भूल गए तो ऊपर तक शिकायत हो जाती है। सोच लो अगर जन्मदिन नहीं मनाया तो जो सम्मान मिला है वह सब कुछ छिन जाएगा। आओ यार फालतू बातें छोड़ो और अपने अध्यक्ष जी के जन्मदिन की तैयारी करते हैं, दो दिन बाद ही आने वाला है।
जी.. गुप्ता जी...। तैयारी करते हैं।
सुमित 'सुजान' ग्वालियर

No comments:

Post a Comment