Thursday, September 6, 2012

शाबाश...बेटा!

       ''उल्लू, गधा कहीं का, चल भाग यहां से, आज के बाद मुझे मुंह नहीं दिखाना। क्या मैंने तुझे इस दिन के लिए बड़ा किया था कि तू अपने बाप की बात नहीं मानेगा।'' -रामदीन जी आज जब अपने बेटे को बुरी तरह फटकार रहे थे तब इस तरह की कुछ आवाजें मेरे जैसे कई पड़ौसियों के कानों में गूंज रही थीं। मुझसे रहा नहीं गया तो मैं उनके घर पर पहुंच गया।
        रामदीन जी मुझे देखते ही बोले-''अच्छा हुआ यार तुम आ गए। अब तू ही समझा मेरे बेटे को।''
चूंकि मामला थोड़ा गंभीर लग रहा था इसलिए मैंने अपनी आंखें बड़ी कर, माथे को सिकोड़ते हुए बड़ी सहजता से पूछा-''आखिर बात क्या है?''
        तब रामदीन जी ने बताया कि ''आज मैंने अपने रवि से पूछा कि भविष्य को लेकर कुछ सोचा है कि नहीं? या फिर यूं ही टीवी पर फिल्में देखता रहेगा। तो रवि ने जवाब दिया कि हां! मैंने सोच लिया है, मैं देश की सेवा करूंगा, सेना में जाऊंगा। बस वहीं मैंने माथा ठोक लिया।''
         तब मैंने कहा कि इसमें बुराई क्या है? रामदीन जी बोले- ये लो आप भी ना। मैं अपने रवि को इतनी देर से यही तो समझाने का प्रयास कर रहा हूं कि देश की सेवा में कुछ नहीं रखा। कोई खेल खेलना शुरू कर दे। कोई खिलाड़ी बन जा। करोड़ों में खेलेगा।
          आपको नहीं पता कि हमारी सरकार सेना के जवानों से ज्यादा खिलाडिय़ों पर दिल खोल कर पैसा लुटाती है। कोई खिलाड़ी ओलंपिक का कोई पदक जीत आए तो देखो कैसे करोड़ों रुपए इनाम में मिलते हैं। आप तो जानते ही होंगे कि सायना नेहवाल को अभी क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने करोड़ों रुपए की कार बीएमडब्ल्यू उपहार में दी है। सरकार के  खेल मंत्री भी राज्यसभा में बोल चुके हैं कि हमने लंदन ओलंपिक के लिए 142.43 करोड़ खिलाडिय़ों के प्रशिक्षण पर खर्च किए हैं। जानते हैं राष्ट्र मण्डल खेलों पर 70 हजार करोड़ रुपए से अधिक लुटा दिए। राष्ट्र मण्डल खेलों के शुभारंभ के मौके पर 60 करोड़ रुपए तो हमने केवल एक गुब्बारे पर ही फूंक दिए थे। इन सबसे अच्छा आईपीएल है। आईपीएल में कैसे खिलाडिय़ों की निलामी होती है। आईपीएल-5 के समय रविन्द्र जडेजा को 20 लाख डॉलर में खरीदा गया था।
         रामदीन का गुस्सा बढ़ता जा रहा था। वे बोले ये गधा सेना में जाना चाहता है। उस सेना में जिसमें पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल वी.के. सिंह खुद पांच पेज की चिट्ठी प्रधानमंत्री को लिखकर बता चुके हैं कि सेना की स्थिति ठीक नहीं है। सेना में टेंक, गोला, बारूद खत्म हो चुका है। पैदल सेना के पास हथियारों तक की कमी है। हवाई सुरक्षा के 97 फीसदी उपकरण बेकार हो चुके हैं, युद्ध के समय काम आने वाले पैराशूट्स भी खत्म हो गए हैं।
         हमारे देश के नेता एक ओर तो खिलाडिय़ों को पलकों पर बिठाते हैं, उधर सेना का कोई जवान जब किसी हमले में शहीद हो जाता है तो उनकी विधवाओं को देखकर मुंह मोड़ लिया जाता है। सैनिकों के लिए तैयार आदर्श सोसायटी के बंगलों पर नेताओं ने कब्जा कर लिया। कितने सैनिकों की विधवाओं को पेट्रोल पंप दिए जाने का आश्वासन दिया गया लेकिन कितने नेताओं के पंप चल रहे हैं।
       इन बाप-बेटों के चक्कर में मेरा भी दिमाग घूम गया। कुछ देर बाद रवि अपने आंसू पोछते हुए बोला-''आई एम सॉरी डैडी!'', आप जैसा कहेंगे मैं वैसा ही करूंगा। देश की रक्षा के लिए मेरे दूसरे भाई हैं ना...! 
        काफी देर बाद रामदीन जी के चेहरे पर मुस्कुराहट आई और बोले-''शाबाश...बेटा!'', मुझे तुमसे यही उम्मीद थी।

1 comment:

  1. देश में यह स्थिति देख कर कभी कभी मुझे भी बहुत दुःख होता है.. जिसके लिए जो करना हो करो लेकिन सैनिक और शिक्षक का तो ध्यान रखो... दोनों देश की सुरक्षा का भार अपने कंधे पर उठाये हुए हैं....

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