Friday, February 3, 2012

लैपटॉप जी! रोटी टपका दो


   
                                        

    अरे यार बंशीराम इधर तो आओ। कहां जा रहे हो? कुछ नहीं राजू भैय्या देखने जा रहे हैं कि सरकार बनने पर कौन क्या-क्या बांट रहा है! जरा रुको! हम भी चल रहे हैं।
    बंशी भाई सुना है हमारे बच्चों को मुफत में लैपटॉप दिए जा रहे हैं।
    हां! तुमने सही सुना है।
    वैसे यह लैपटॉप होता क्या है? हमारे गांव में इसका क्या काम है?
    अरे बंशी धीरे बोल, यदि किसी पार्टी के नेता ने सुन लिया कि यहां के गांव के लोगों को लैपटॉप के बारे में नहीं पता है तो कम्बख्त अपना घोषणा पत्र घड़ी करके रख देंगे। वैसे तू मोटे तौर पर यह समझ ले कि यह कम्प्यूटर की तरह होता है, जिससे कई सारे काम किए जा सकते हैं।
    लैपटॉप आएगा तो हमारे बच्चों को काफी फायदा होगा। वे अपना पाठ लैपटॉप में भी पढ़ सकते हैं। पूरी दुनिया की जानकारी भी लैपटॉप पर मिल जाएगी।
    अच्छा..!
    हां! और नहीं तो क्या!
    अरे मर गए राजू भैय्या!
    बच्चों से याद आया कि आज हम अपने बच्चों को क्या खिलाएंगे? हमारे घर में तो खाना ही नहीं बना है। लगता है आज भी भूखे पेट सोना पड़ेगा। दो दिन में बेचारा हमारा मुन्ना बिना खाने के दुबला हो गया है। अब तो ऐसा लगता है कि रोटी की व्यवस्था होनी चाहिए।
    रोटी की व्यवस्था पर क्यों?
    लो आपको भी नहीं पता!
    चलो हम बताते हैं.....।
    कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस बात को राष्ट्रीय शर्म बता चुके हैं कि भारत में आज भी 42 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। लाखों बच्चों को भूखे पेट सोना पड़ता है। आज भी कई घर ऐसे हैं जहां खाने के लिए अन्न का दाना नहीं है। डॉक्टर भी मानते हैं कि हमारे बच्चों को इलाज की नहीं बल्कि पोषक आहार की जरूरत है।
उत्तर प्रदेश में लैपटॉप बांटने वाले नेताओं को शायद यह भी नहीं पता होगा कि देश में सबसे ज्यादा कुपोषण के शिकार बच्चे हमारे प्रदेश में ही है।
    आंख मूंदकर बैठे इन नेताओं को यह भी नहीं दिखता है कि जिस सीट से यह चुनाव लडऩे जाएंगे उस स्थान में बच्चों और उनके परिवारों की क्या स्थिति है!!
क्या मतलब है तुम्हारा?
    अरे... राजू भैय्या... मतलब यह है कि हमारे प्रदेश में 41 जिले हैं जिनमें सैकड़ों बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के रायबरेली में 58  प्रतिशत, भाजपा सांसद वरुण गांधी के पीलीभीत में 45 प्रतिशत और मुलायम सिंह के मैनपुरी में 43 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। बेचारे बच्चों को खाने के लिए भोजन नहीं है। मैनपुरी तो कुपोषण के मामले में ऊंचे पायदान पर है।
    क्या तुम्हें पता है कि पिछले साल हमारा 541.33 टन अनाज सड़ गया था। यह स्थिति तब है जब सरकार की लगभग डेढ़ दर्जन योजनाएं चल रही हैं।
    राम...राम...राम... बंशी। जब तुम्हें इतना सब कुछ पता है तो काहे को इन नेताओं के भाषण सुनने जा रहे हो, काहे अपने खाने की व्यवस्था नहीं करते।
    अरे... राजू भैय्या! खाने की व्यवस्था करने ही तो जा रहे हैं! रामबती चाची का छोकरा आया था, कहकर गया है कि आज चौराहे पर नेताजी की सभा है। सभा में आने वाले को खाना-पीना सबकुछ मिलेगा।
अब समझमें नहीं आ रहा है कि कब तक सभा में जाकर खाना खाते रहेंगे। ये नेता ऐसा नहीं कर सकते क्या कि लैपटॉप का लॉलीपॉप अपने पास रख लें और हमारे लिए रोटी की व्यवस्था कर दें।
    हे... भगवान! अब तो इन नेताओं को बुद्धि दो...! इनसे कहो कि हमें लैपटॉप नहीं रोटी चाहिए...! लैपटॉप तो सारे काम करेगा ना! बस रोटी भी टपका दे।
                                                सुमित 'सुजान'

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