- व्यंग्य/झुनझना
हमारे
रामदीन जी का पढ़ाने के मामले में कोई जवाब नहीं है। जैसा समय चलता है वैसा
पढ़ाते हैं। जैसे कुछ लोग समय के हिसाब से अपने आपको बदल लेते हैं ऐसे ही
कुछ लोगों में शामिल हैं हमारे रामदीन जी। कल ही मैं इनके पास गया तो स्कूल
में बच्चों को 'हमारा भारत-प्यारा भारत' विषय पर एक निबंध रचना सुना रहे
थे। शायद उन्होंने खुद लिखा था। वरना आजकल तो लोग दूसरे के लिखे को अपना
बताने लगते हैं। रामदीन जी की बातों को मैं भी ध्यान से सुन रहा था।
उन्होंने पढ़ाना शुरु किया-'भारत एक भ्रष्टाचार प्रधान देश है।' यहां
समय-समय पर तरह-तरह के घोटाले होते रहते हैं। कुछ घोटाले भ्रष्टाचारियों के
जीवित रहते उजागर होते हैं तो कुछ के मरणोपरांत। भारत ही दुनिया में एक
ऐसा एकमात्र देश है जहां जमीन के भीतर (कोयला घोटाला) से लेकर आसमान तक
(हेलीकॉप्टर घोटाला) कई घोटालों को अंजाम दिया जा चुका है। हमारे देश में
तरंगों को बेचने तक में वसूली की जाती है। भारत पहले लोकतांत्रिक देश था
लेकिन अब भोगतांत्रिक बन गया है। यहां मुख्यमंत्री, मंत्री, अफसर, दामाद,
बाप-बेटे, पति-पत्नी मिलकर देश को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। भारत
आर्थिक दृष्टि से भी सम्पन्न राष्ट्र है। गरीबी-भुखमरी जैसे मुद्दों पर
हमें बदनाम करने की कोशिश भले ही की जाती हों लेकिन सारी दुनिया जानती है
कि विदेशी बैंकों में हमारे कुछ भाइयो-बहिनों के 500 अरब डॉलर पूरी तरह से
सुरक्षित रखे हुए हैं। यह हमारी उदारता है कि हम उस धन को भारत में लाकर
विदेशों में आर्थिक संकट पैदा नहीं करना चाहते। ऐसी एक उदारता का परिचय अभी
हमने एक बार फिर दिया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने अपनी भारत
यात्रा के दौरान जब हमारे कोहीनूर को लौटाने से मना कर दिया तो हमने ज्यादा
दबाव भी नहीं बनाया। शायद हमसे ज्यादा जरुरत उनको हो। अब ये बात अलग है कि
हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की दुर्लभ वस्तुओं की विदेशों में होने
वाली नीलामी को हम देखते रहते हैं। हमारे देश में विभिन्न धर्मों के लोग
मिल-जुलकर बिल्कुल गठबंधन सरकारों की तरह रहते हैं। भारत उत्सवधर्मी देश भी
कहलाता है। जब भी हमारे देश में आतंकवादी, दुष्कर्म, दुर्घटना जैसी घटनाएं
होती हैं तब देश की जनता एकजुट होकर मोमबत्ती जुलूस निकालने लगती है। कुछ
दिनों तक पूरे देश में इस तरह के उत्सव मनाए जाते हैं उसके बाद सभी घटनाओं
को भूल जाते हैं। इसलिए तो कहते हैं 'हमारा भारत-प्यारा भारत'। निबंध पूरा
होते ही रामदीन जी बोले-'अच्छा बच्चों आज के लिए बस इतना ही कल फिर
मिलेंगे।'
- सुमित 'सुजान'
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