Wednesday, September 26, 2012

कुछ अच्छा होता है तो दाग अच्छे हैं!

         समझदार, ईमानदार, अनुभवी, निपुण, शांत स्वभाव, चिंतनशील जैसे शब्दों का एक पर्यायवाची ढूंढा जाए तो इसका जवाब 'प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह' होना चाहिए। वैसे तो उन्हें कोई सीख देना मेरी वेबकूफी ही होगी लेकिन फिर भी क्या करूं, मन तो नहीं मानता ना। बेचारे काफी दिनों से परेशान चल रहे हैं। उनको चिंता में देखकर मेरी भी चिंता काफी बढ़ जाती है।
       दाग किसे अच्छे लगते हैं। अब देखो न कोयला मंत्रालय संभालते-संभालते काले धब्बे लग ही गए। और तो और 2-जी स्पेक्ट्रम, महंगाई, सिलेण्डरों की सीमित संख्या जैसे कई मामलों ने भी उलझन में डाल दिया है। दामन पर रोज कोई न कोई दाग लग जाता है। दाग को थोड़ा साफ करने के लिए भारत में विदेशी कंपनियों को सीधे निवेश करने की छूट भी दे दी लेकिन कमबख्त दाग है कि मिटता ही नहीं।
        प्रधानमंत्री को पता होना चाहिए कि आजकल प्रेक्टिकल होने का जमाना है। जनता जवाब मांगती है। इसलिए यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो इन सभी उलझनों से बच निकलने के लिए टीवी पर आने वाले विज्ञापन का सहारा लेता। यदि कोई विपक्षी पार्टी का नेता, अण्णा हजारे, अरविंद केजरीवाल, बाबा रामदेव टाईप के सामाजिक कार्यकर्ता मुझसे सवाल करते तो मैं उनसे एक ही बात कहता। 'देखो भाई-यदि दाग लगने से कुछ अच्छा होता है तो दाग अच्छे हैं।' वाशिंग पाउडर 'सर्फ एक्सेल' का विज्ञापन तो सभी ने देखा होगा। विज्ञापनों से भी सीख लेना चाहिए।
         मैं प्रधानमंत्री होता तो बताता कि भले ही हमारी सरकार में 2-जी स्पेक्ट्रम का घोटाला हुआ है लेकिन आप जानते नहीं देश कितना तरक्की कर रहा है। गरीब से गरीब व्यक्ति के पास मोबाइल है। जब कोई गरीब कान पर लगाकर जब हैलो... बोलता है तो कितना अच्छा लगता है, इसे बयान नहीं किया जा सकता। हमारी सरकार तो अगले साल से रोमिंग फ्री करने जा रही है।
       इसी प्रकार सिलेण्डरों की संख्या निर्धारित करने के पीछे भी देश की तरक्की को समझना चाहिए। हम देश को विकसित करना चााहते हैं। कहां रोज-रोज सिलेण्डर की चिंता, अब तो इडक्शन कुकर का जमाना है।  पेट्रोल-डीजल के दाम भी इसलिए बढ़ाए जा रहे हैं कि लोगों को पैदल चलने की आदत डाली जाए जिससे लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहे।
       हमने विदेशी कंपनियों को सीधे निवेश करने की छूट भी इसलिए दी क्योंकि विदेशों में यह संदेश जाएगा कि दुनिया में बड़े दिल वाला यदि कोई देश है तो वह भारत ही है। हमारे बड़े दिल का ही कमाल है कि जिस कंपनी का अमेरिका में विरोध हो रहा है, उस कंपनी के लोग परेशानी में हैं तब हमने उन्हें सराहा दिया। लोग समझते ही नहीं, भारत कितनी तरक्की कर रहा है।
        ऐसे कई मामलों हैं जिन पर भारत लगातार प्रगति कर रहा है। इसलिए तो हमारे प्रधानमंत्री को भी खुलकर जनता के सामने आकर यह कहने की बजाय कि  'पैसे पेड़ पर नहीं उगते', के स्थान पर कहना चाहिए-'यदि दाग लगने से कुछ अच्छा होता है तो दाग अच्छे हैं।'
 

1 comment:

  1. bahut badhiya sumit.....achha kuchh dhund kar laye ho.....

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