नमस्ते अंकल...! हां बेटा नमस्ते।
अंकल मैं बहुत दिनों से आपको ही ढूंढ रहा था। आप वही है न, जो चुनाव आयोग में काम करते हैं।
हां बेटा। लेकिन तुम मुझे क्यों ढूंढ रहे थे?
वैसे तो कोई बात नहीं है अंकल....
अंकल मैं बोलूंगा तो 'छोटा मुंह बड़ी बात होगी', लेकिन मैं फिर भी बोल देता हूं क्योंकि आजकल तो बड़े-बड़े लोग 'छोटी-छोटी बात' करते रहते हैं।
मैं तो सिर्फ इतना बताना चाहता था कि आपने उत्तर प्रदेश में चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री मायावती और उनकी पार्टी के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियों को ढकने का जो आदेश जारी किया है, वह अधूरा सा लगता है।
अधूरा सा... क्या मतलब है तुम्हारा?
हां सर अधूरा सा।
तो तुम बताओ पूरा कैसा होगा?
सर पूरा करने से पहले आपको बहुत सारी बातें सोचनी चाहिए थीं जो मैं आपको बता सकता हूं।
अच्छा चलो बताओ।
सर मैं यह कहना चाहता हूं कि आपने हाथियों की मूर्तियों तो ढकवा लेकिन स्कूल में बच्चों की किताबों में से भी हाथियों को हटवाना चाहिए था। इसके लिए सभी स्कूलों में निर्देश दिया जा सकता है कि अब 'ई' से 'एलीफेंट' नहीं बल्कि 'ई' से 'इलेक्शन' पढ़ाया जाए। इसी प्रकार 'सी' से 'साइकल' नहीं 'क्राइम' पढ़ाया जाए। वहीं हिन्दी की कक्षा में में 'ह' से 'हाथी' नहीं बल्कि 'ह' से 'हथियार' पढ़ाया जाए। ये तो रही स्कूलों की बात।
इसके बाद एक फरमान यह भी दिया जा सकता है कि चुनाव होने तक उत्तर प्रदेश में किसी भी 'सर्कस' को अनुमति नहीं दी जाएगी। वह इसलिए क्योंकि 'सर्कस' में 'हाथी' का इस्मेमाल होता है और कलाकारों द्वारा 'साइकिल' पर चलाकर करतब भी दिखाए जाते हैं।
चुनाव के दौरान हाथी को साथ लेकर चलने वाले महावतों पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है। इसके लिए आपको पता करना होगा कि किस मोहल्ले में महावत रहते हैं। उन्हें घर में कैद कर दिया जाए। जिससे वह हाथी लेकर बाहर ही न निकल सकें। क्योंकि हाथी लेकर निकलेंगे तो मायावती का प्रचार होगा। महावतों को यह भी कहा जा सकता है कि वे अगर अपनी रोजी-रोटी चलाना चाहते हैं तो अन्य राज्यों में चले जाएं।
आपने जिस प्रकार वैसे लखनऊ और नोएडा में आपने मूर्तियों को ढकने के लिए एक करोड़ से अधिक खर्च कर दिए हैं, थोड़े और रुपए खर्च करके एक काम और कर सकते हैं। चुनाव आयोग एक फरमान और जारी कर दे कि उत्तर प्रदेश में चुनाव होने तक कोई भी व्यक्ति साइकिल पर नहीं दिखेगा। क्योंकि इससे मुलायम सिंह की पार्टी का प्रचार होता है। आदेश के मुताबिक जिस किसी भी बंधु के पास साइकिल है वह अपने घर में रख दे, बाहर न निकाले। यदि बाहर निकालेगा तो पकड़ लिया जाएगा। उसकी साइकिल को जब्त कर लिया जाएगा। यहां ऐसी धमकी देकर अपन उसकी साइकिल को जब्त कर लेंगे ।
क्यों सही है न सर?
भले ही हम अपराधियों, भ्रष्टाचारियों और अनपढ़ों के चुनाव लडऩे पर प्रतिबंध नहीं लगा पा रहे हैं लेकिन हां ! हाथी, साइकिल, कमल जैसे चुनाव चिह्नों पर प्रतिबंध जरुरी है। क्योंकि हाथी और साइकिल..... ही तो चुनावों को प्रभावित करते हैं............ बाकी सब तो चलता रहता है।
सुमित 'सुजान' ग्वालियर
Acha likha hai sumit gud job.
ReplyDeleteGud Bhai lage raho mast h......
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