Friday, October 4, 2024

नेताजी की अंत्‍येष्टि


शहर के बड़े नेताजी मर गये। बड़े इसलिए नहीं क‍ि वे बड़े ज्ञानी, परोपकारी, दयालु, ईमानदार और संस्‍कारी थे। इन गुणों से उनका कोई लेना-देना नहीं था। उनकी ख्‍याति दूर-दूर तक थी। वे बाहुबली थे। भ्रष्‍टाचार में उनका मुकाबला करने की ताकत किसी में नहीं थी। जितने अवगुण होते हैं, वे सब उनमें थे। उनके परलोक जाते ही मानो हमारा शहर देवलोक हो गया हो। अधिकतर शहरवासी खुश थे। वे सुबह मरे थे। उनकी अंत्‍येष्टि रात्रि 10 बजे तक हुई। मुझे पता लगा कि अस्‍पताल में उनकी मौत उसी दवा से हुई जो नकली थी और जो उनकी फार्मा फैक्‍ट्री में ही बनती थी। इस बात का मुझे पूरा व‍िश्‍वास है कि डॉक्‍टरों को जरूर पता होगा कि यह दवा नकली है। लेकिन वे शायद अपना फर्ज निभाते हुए भूल गये होंगे। हो सकता है कि नर्स या वार्ड बॉय ने गलती कर दी हो। क्‍योंकि गलती का ठीकरा सबसे कमजोर व्‍यक्ति पर ही फोड़ा जाता है। 

खैर, नेताजी अस्‍पताल से घर लाए गए। घर में रोना-धोना शुरू हो गया। जब उनके र‍िश्‍तेदार अर्थी का सामान लेने बाजार गए तो उसने भी तुरंत सामान निकालकर दे दिया। नेताजी को वह अच्‍छी तरह से जानता था। उनके रिश्‍तेदारों ने रौब दिखाकर सामान कम रकम देकर ले लिया। दुकानदार उन्‍हें भी जानता था। इसलिए सभी माल घटिया क्‍वालिटी का दिया। धीरे-धीरे तैयारी पूरी हुई। उन्‍हें उठाने के लिए कई लोग तैयार थे। लेकिन यह काम बेटों को करना होता है इसलिए उन्‍होंने ही किया। श्‍मशान बहुत दूर था इसलिए शव वाहन की व्‍यवस्‍था थी। शव वाहन चालक भी नेताजी से अच्‍छे से परिचित था। इसलिए उसने शव रखवाने से पहले ही पैसे ले लिए थे। पैसे मिलने पर उसके चेहरे पर हल्‍की सी मुस्‍कान आई जो सिर्फ मुझे दिखी। श्‍मशान पहुंचने पर नेताजी को उतारा गया। गाड़ी वाले ने सबसे पहले घर पर फोन लगाया। मैं उसके पास ही खड़ा था। वह पत्‍नी से बोला कि मैं अभी घर आ रहा हूं, तुम गंगाजल निकालकर रखना। आज गाड़ी को शुद्ध करना पड़ेगा। 

नेताजी को शव शैया पर लिटाया गया। इधर लोग बाहर लकड़ी और कंडे वाले से बहस कर रहे थे कि जल्‍दी सामान दो। गिली लकड़ी नहीं देना। लकड़ी सही नहीं दी तो तेरी खैर नहीं। बहुत हरामखोरी करता है। लकड़ी वाला भी नेताजी का सताया हुआ था सो उसने भी अपने मन का किया। मन ही मन उसने प्रवचन दिए। उसके बाद सामान दिया। बारी अब नेताजी के जलने की थी। इत्‍तेफाक से उस दिन दशहरा था। नेताजी की पार्थिव देह सजाई गई। यह काम विशेषज्ञों ने पूरे मनोयोग से किया। जलने से कोई अंग छूट न जाए इसलिए एक बोला- एक लकड़ी यहां भी लगाओ। चिता में अग्नि दी गई। आग बहुत धीरे नेताजी को जला रही थी। सभी लकड़ी वाले को कोस रहे थे। लेकिन मैं चुप था। आग नहीं पकड़ रही थी तो सभी ने कुछ न कुछ प्रयत्‍न किए। बाद में मेरी सलाह पर नेताजी अच्‍छे से जले। उन्‍हें पेट्रोल डालकर जलाया गया। क्‍योंकि मैं जानता था कि नेताजी को पेट्रोल बहुत प्रि‍य था। उन्‍होंने पेट्रोल छिड़ककर ही कई लोगों को जिंदा जलाया था। जहां भी दंगे होते थे वे पेट्रोल बम लेकर सबसे पहले पहुंचते थे। कई आगजनी की घटनाओं में उनका नाम रहता था। आखिरी वक्‍त में सब घर लौट रहे थे। मैं वहीं खड़ा था। हमारे पड़ोसी बोले- आप नहीं चल रहे। मैंने कहा- नहीं आप चल‍िए, मैं पूरा दशहरा देखकर आऊंगा।


Sunday, September 29, 2024

वो बड़ी नाक वाले हैं…


भ्रष्‍टाचार सूंघ लेते हैं, 

हर रास्‍ता ढूंढ लेते हैं,

आंखों को मूंद लेते हैं, 

चालाकी भी गूंद लेते हैं,

झूठों के वे रखवाले हैं, 

वो बड़ी नाक वाले हैं...


झूठी कसमें खाते हैं,

फ‍िर बड़ा इतराते हैं,

गरीबी सा हाल दिखाकर

शीशमहल बनवाते हैं, 

उनके खेल निराले हैं,

वो बड़ी नाक वाले हैं…


लालच में ऐसी मती फ‍िरी,

एक बोतल पर एक फ्री 

दलालों से सरकार घिरी 

उनकी बढ़ती साख गिरी

फ‍िर भी मुगालता पाले हैं

वो बड़ी नाक वाले हैं...


ईमानदारी पर लगा डंक,

जेल जाने का मिला कलंक,

फ‍िर दिखाया अपना रंग

'आतिशी' को दे दी जंग,

सीएम खाली कुर्सी वाले हैं,

वो बड़ी नाक वाले हैं...


 


Friday, May 31, 2024

चुटकी

लक्ष्‍य कोई बड़ा आप बनाओ,
बताकर नहीं, चुपचाप बनाओ,
करो दोस्‍ती, नहीं दुश्‍मनी करो, 
वक्‍त पर गधो को भी बाप बनाओ।

Monday, March 25, 2024

चुटकी

ईमानदारी उनकी तौली है, 
फाइल घोटाले की खोली है, 
बोल रही है अबकी टीम ईडी, 
भाई! बुरा न मानो होली है।।