Tuesday, January 17, 2012

फिर मत कहना कि बताया नहीं

                  



    भाई अपुन यदि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की जगह होते तो सबसे पहला काम काली स्याही का दाम बढ़ाने का करते। क्योंकि आजकल जिस प्रकार लोगों के मुंह पर काली स्याही फेंकी जा रही है उसको तो देखकर यही लगता है कि इस देश में बाकी सभी वस्तुओं के दाम तो आसमान पर हैं लेकिन काली स्याही के दाम सबसे नीचे।   जरा याद करो उस पुराने दौर को जब किसी नौटंकी कार्यक्रम में जब कलाकार अच्छा प्रस्तुतिकरण नहीं देता था तब नीचे बैठे दर्शक किस प्रकार उस पर लाल-लाल टमाटर और अंडे फेंकेते थे। लेकिन अब महंगाई बढऩे के कारण न तो लोग अंडे फेंक रहे हैं और न ही टमाटर। महंगाई के कारण कुछ लोगों ने तो नौटंकी में जाना ही छोड़ दिया है। हां! नौटंकी करने वाले आज भी नौटंकी कर रहे हैं।
    ऐसा लगता है कि बाबा रामदेव अपनी बात को ठीक ढंग से लोगों के बीच नहीं रख पाए। वे काला धन मांग रहे थे लेकिन कामरान सिद्धकी ने उन्हें काला रंग दे दिया। कामरान के पास काला धन तो नहीं था लेकिन उसका काला मन बड़ा खतरनाक था। कामरान के काले मन में पता नहीं कौन छुपा है लेकिन इतना तो तय है कि काली स्याही के पीछे कोई काला रहस्य जरुर छुपा हुआ है।
    काली स्याही का एक और प्रयोग सोनिया गांधी के पोस्टर पर दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पर भी किया गया। स्याही पता नहीं किसने फेंकी। लेकिन दिल्ली की पुलिस की पड़ताल जर्बदस्त दिखाई दी। वे पोस्टर पर काली स्याही फेंकने वाले मुख्य आरोपी को तो पकड़ नहीं पाई हां! लेकिन उस डब्बे को जब्त कर लिया है जिसे काली स्याही फेंकी गई थी।
    अगर काली स्याही महंगी होती तो मजाल है किसी की कि वो ऐसी हरकते करता। इसलिए जहां तक एक उपाय सूझ रहा है वह यह है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल काली स्याही के दाम बढ़ा दिए जाएं। प्रधानमंत्री जी अपने मंत्रियों और मंत्री अपने अधिकारियों को साफ तौर पर यह निर्देश दें कि इस तरह की काली करतूतों को रोकने के लिए अगर हो सके तो काली स्याही बनाने वालों की धरपकड़ की जाए। फेक्ट्रियों पर छापे मारे जाएं। काली स्याही किसी को भी उपलब्ध न कराई जाए।
    कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जिस प्रकार बाबा रामदेव के समर्थकों की जमीन पर लिटाकर लातों से पिटाई की है और बाबा रामदेव के समर्थकों ने जिस प्रकार कामरान सिद्धकी की पिटाई की उसको देखकर तो ऐसा ही लगता है कि जल्द ही कुछ नहीं किया तो हालात बहुत बिगड़ सकते हैं। अभी उत्तर प्रदेश में चुनाव का माहौल है। नेताओं को जनता के घर वोट मांगने भी जाना है। इसलिए मेरी बातें मान लो तो अच्छा है। अगर नेताओं पर वोट की जगह किसी ने काली स्याही फेंक दी.. तो फिर मत कहना की बताया नहीं था।



                                                                      सुमित  'सुजान' ग्वालियर


Monday, January 16, 2012













बैठे-बैठे क्या करते

बैठे-बैठे क्या करते
कर दिया कुछ काम
बुलाया गया मंत्रियों को
बढ़ा दिए पेट्रोल के दाम

बढ़ा दिए पेट्रोल के दम
कंपनियों को किया चंगा
सपने दिखाकर नैनो के
फिर कर दिया भिखमंगा

फिर कर दिया भिखमंगा
मंत्रियों की ऐसी हरकतों से
जनता दिख रही है तांव में
एक-एक को देखेगी
अब आने वाले चुनाव में।

सुमित 'सुजान' ग्वालियर

Friday, January 13, 2012

आयोग का अधूरा आदेश






नमस्ते अंकल...! हां बेटा नमस्ते।
अंकल मैं बहुत दिनों से आपको ही ढूंढ रहा था। आप वही है न, जो चुनाव आयोग में काम करते हैं।
हां बेटा। लेकिन तुम मुझे क्यों ढूंढ रहे थे?

वैसे तो कोई बात नहीं है अंकल....
 अंकल मैं बोलूंगा तो 'छोटा मुंह बड़ी बात होगी', लेकिन मैं फिर भी बोल देता हूं क्योंकि आजकल तो बड़े-बड़े लोग 'छोटी-छोटी बात' करते रहते हैं।
  मैं तो सिर्फ इतना बताना चाहता था कि आपने उत्तर प्रदेश में चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री मायावती और उनकी पार्टी के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियों को ढकने का जो आदेश जारी किया है, वह अधूरा सा लगता है।
अधूरा सा... क्या मतलब है तुम्हारा?
हां सर अधूरा सा।
तो तुम बताओ पूरा कैसा होगा?
सर पूरा करने से पहले आपको बहुत सारी बातें सोचनी चाहिए थीं जो मैं आपको बता सकता हूं।
अच्छा चलो बताओ।

सर मैं यह कहना चाहता हूं कि आपने हाथियों की मूर्तियों तो ढकवा लेकिन स्कूल में बच्चों की किताबों में से भी हाथियों को हटवाना चाहिए था। इसके लिए सभी स्कूलों में निर्देश दिया जा सकता है कि अब 'ई'  से 'एलीफेंट'  नहीं बल्कि 'ई'  से 'इलेक्शन' पढ़ाया जाए। इसी प्रकार 'सी'  से 'साइकल'  नहीं 'क्राइम' पढ़ाया जाए। वहीं हिन्दी की कक्षा में में 'ह'  से 'हाथी'  नहीं बल्कि 'ह'  से 'हथियार'  पढ़ाया जाए। ये तो रही स्कूलों की बात।
इसके बाद एक फरमान यह भी दिया जा सकता है कि चुनाव होने तक उत्तर प्रदेश में किसी भी 'सर्कस'  को अनुमति नहीं दी जाएगी। वह इसलिए क्योंकि 'सर्कस'  में 'हाथी'  का इस्मेमाल होता है और कलाकारों द्वारा 'साइकिल'  पर चलाकर करतब भी दिखाए जाते हैं।
चुनाव के दौरान हाथी को साथ लेकर चलने वाले महावतों पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है। इसके लिए आपको पता करना होगा कि किस मोहल्ले में महावत रहते हैं। उन्हें घर में कैद कर दिया जाए। जिससे वह हाथी लेकर बाहर ही न निकल सकें। क्योंकि हाथी लेकर निकलेंगे तो मायावती का प्रचार होगा। महावतों को यह भी कहा जा सकता है कि वे अगर अपनी रोजी-रोटी चलाना चाहते हैं तो अन्य राज्यों में चले जाएं।
 आपने जिस प्रकार वैसे लखनऊ और नोएडा में आपने मूर्तियों को ढकने के लिए एक करोड़ से अधिक खर्च कर दिए हैं, थोड़े और रुपए खर्च करके एक काम और कर सकते हैं। चुनाव आयोग एक फरमान और जारी कर दे कि उत्तर प्रदेश में चुनाव होने तक कोई भी व्यक्ति साइकिल पर नहीं दिखेगा। क्योंकि इससे मुलायम सिंह की पार्टी का प्रचार होता है। आदेश के मुताबिक जिस किसी भी बंधु के पास साइकिल है वह अपने घर में रख दे, बाहर न निकाले। यदि बाहर निकालेगा तो पकड़ लिया जाएगा। उसकी साइकिल को जब्त कर लिया जाएगा।  यहां ऐसी धमकी देकर अपन उसकी साइकिल को जब्त कर लेंगे ।
क्यों सही है न सर?
भले ही हम अपराधियों, भ्रष्टाचारियों और अनपढ़ों के चुनाव लडऩे पर प्रतिबंध नहीं लगा पा रहे हैं लेकिन हां ! हाथी, साइकिल, कमल जैसे चुनाव चिह्नों पर प्रतिबंध जरुरी है। क्योंकि हाथी और साइकिल..... ही तो चुनावों को प्रभावित करते हैं............ बाकी सब तो चलता रहता है।

                        सुमित 'सुजान' ग्वालियर

Saturday, January 7, 2012

      कब खत्म होगा महाइंतजार!

शांत हो जाओ, बहुत शोर हो रहा है। शांत हो जाओ नहीं तो बड़े सर आ जाएंगे।
मास्टर जी ने नरेन्द्र का कान मरोड़कर टेबल पर खड़ा कर दिया तो पूरी कक्षा शांत हो गई।
चल बड़ा शोर कर रहा था अब बता कुछ पढ़ता भी है कि नहीं।
सर....अब नहीं करूंगा शोर, माफ कर दो!
माफ तो मैं तुझे तब करूंगा जब तू मेरे सवाल का जवाब देगा।
चल बता 'इंतजारÓ क्या होता है?
सर इंतजार वह होता है जो कभी पूरा नहीं होता।
अबे उल्लू.. उदाहरण देकर बता..।
जी सर।
उदाहरण के लिए क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के महाशतक का इंतजार।
क्या मतलब है तेरा?
सर जिस प्रकार से रोजाना समाचार आ रहे हैं कि सचिन आज शतकों का शतक यानी कि महाशतक पूरा कर सकते हैं लेकिन वह ऐनवक्त पर आउट हो जाते हैं, उससे भी इंतजार का पता चलता है।
भले ही हमें महंगाई पर अंकुश लगाने, जन लोकपाल विधेयक लाने, राजनीति से दल-बदलुओं को दूर करने, आतंकवादियों को फांसी लगाने, किसानों की आत्महत्या रोकने, भ्रष्टाचार रोकने, मीडिया की विश्वसीनता वापस लौटने और गरीबों की दाल रोटी की व्यवस्था करने का इतना इंतजार नहीं है लेकिन हमें सचिन के महाशतक का इंतजार जरुर है।
सर आपको पता है क्या 21 पारियों से सचिन शतक नहीं बना पा रहे हैं। हम 21 पारियों से सचिन के महाशतक का इंतजार कर रहे हैं। टीवी चैनल भी 21 पारियों से पूर्व 2100 बार यह समाचार दिखा चुके हैं कि आज महाशतक का इंतजार खत्म हो सकता है।
सर, पिछले दिनों मीडिया में दिखाया गया था कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाडिय़ों ने एक बार फिर बयानबाजी वाली रणनीति अपनाई है। ऑस्ट्रेलिया खिलाड़ी हमारे सचिन को मानसिक रूप से परेशान करने के लिए काफी उल्टा-पुल्टा बयान जारी कर देते हैं। सर मुझे ऐसा लगता है कि सचिन ऑस्ट्रेलिया टीम से इतने परेशान नहीं होंगे जितने कि भारतीय मीडिया से होंगे। क्योंकि ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए निकले ही थे कि समाचार आने लगा कि अब महाशतक का इंतजार खत्म होने वाला है, सचिन ऑस्ट्रेलिया जा रहे हैं। पहले टेस्ट में जब सचिन शतक नहीं बना पाए तो सिडनी में शतक पूरे होने जैसे समाचार आने लगे। आउट हो गए तो महाशतक से चूके सचिन, कब बनेगा महाशतक, किस देश में किस श्रृंखला में बनेगा महाशतक जैसे समाचार उनके लिए काफी परेशानी बन रहे होंगे।
इसलिए सर मुझे ऐसा लगता है कि सचिन का महाशतक का इंतजार तो खत्म हो जाएगा, क्योंकि उनके खेल को देखकर तो जनता मस्त है। हां!! लेकिन हमें उस महाइंतजार को पहले खत्म करना चाहिए जिससे देश की जनता सबसे ज्यादा त्रस्त है।

सुमित 'सुजान' ग्वालियर

Sunday, January 1, 2012

आओ जन्मदिन मनाएं




अच्छा!! तुम हमारी पार्टी में शामिल होना चाहते हो...।
जी सर!
ऐसी बात है तो फिर मेरे एक सवाल का जवाब दो।
हां सर पूछिए!
अच्छा ये बताओ कि हमारी पार्टी के अध्यक्ष का जन्मदिन कब आता है?
हें सर, ये कैसा सवाल है.....।
कैसा क्या मतलब, सवाल है जवाब दो। जवाब नहीं तो जाइये कहीं ओर, दूसरी पार्टी ज्वाइन कीजिए।
तुम्हें शर्म आनी चाहिए यार.... तुम हमारी पार्टी से जुडऩा चाहते हो और हमारे अध्यक्ष के जन्मदिन के बारे में भी नहीं पता।
हां... भई अगला कौन है? जल्दी आओ....!!!
नमस्कार सर।
हां..हां.. नमस्कार।
बैठो।
तो तुम भी हमारी पार्टी में आना चाहते हो। चलो बताओ की हमारे अध्यक्ष का जन्मदिन कब आता है।
सर  पता नहीं।
पता नहीं है तो क्यों हमें परेशान करने चले आते हो...। न जाने कहां..कहां.. से चले आते हैं।
लल्लू तुम्हें पता है...आज से 35 साल पहले मुझे कोई नहीं जानता था। लेकिन आज सभी जान गए हैं कि मुझे जन्मदिन मनाने का मास्टर कहते हैं। 35 सालों से अपने अध्यक्ष जी का जन्मदिन मना रहा हूं। हर साल कुछ न कुछ नया करता रहता हूं। इस बार देखना 1 क्विंटल का केक बनवा रहा हूं। शहर के सभी कार्यकर्ताओं को बंटेगा। केक के साथ-साथ पूरे शहर को होर्र्डिंग्स और बैनर से ढक दिया जाएगा। आतिशबाजी होगी। तू देखना बस।  आप सही कहते हो गुप्ता जी। आपको काफी समय पार्टी की सेवा करने के बाद जिलाध्यक्ष की कुर्सी का प्रसाद मिला है। हां लल्लू यह प्रसाद बहुत कम लोगों को मिल पाता है। मैंने इसके लिए काफी मेहनत की है। हा..हा..हा..हा..।
क्या मैं अंदर आ सकता हूं सर....।
हां. आ जाओ।
क्या बात है पार्टी ज्वाइन करने आए हो?
हां सर!
अच्छा ये बताओ हमारे अध्यक्ष का जन्मदिन कब आता है?
सर मुझे तो अपना जन्मदिन ही ठीक से याद नहीं, अध्यक्ष का क्या याद रखूंगा।
मजाक उड़ा रहे हो।
नहीं सर सच्ची में मुझे आज तक अपना जन्मदिन ही नहीं मालूम।
आपको पता है क्या आपका जन्मदिन।
बड़ा बेशर्म है मुझसे ही सवाल करता है। चल भाग यहां से....।
क्या बात है गुप्ता जी आप इतना नाराज क्यों हो गए। उसे बता देते न तुम्हारा जन्मदिन कब आता है।
तुम ठीक कहते हो लल्लू लेकिन असल बात यह है कि मुझे भी अपना जन्मदिन नहीं मामूल।
सच बताऊं तो मुझे अपने पिताजी, माताजी, पत्नी, बेटे और परिवार के किसी भी सदस्य के जन्मदिन कब आता है पता नहीं।
लेकिन दुर्भाग्य है कि इन राजनीतिक पार्टियों में अपने परिवार को छोड़कर अपने आकाओं का जन्मदिन को याद रखना पड़ता है। पिताजी, माताजी का जन्मदिन तो भले ही एक बार भूल जाएं लेकिन इनका भूल गए तो ऊपर तक शिकायत हो जाती है। सोच लो अगर जन्मदिन नहीं मनाया तो जो सम्मान मिला है वह सब कुछ छिन जाएगा। आओ यार फालतू बातें छोड़ो और अपने अध्यक्ष जी के जन्मदिन की तैयारी करते हैं, दो दिन बाद ही आने वाला है।
जी.. गुप्ता जी...। तैयारी करते हैं।
सुमित 'सुजान' ग्वालियर