भाई अपुन यदि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की जगह होते तो सबसे पहला काम काली स्याही का दाम बढ़ाने का करते। क्योंकि आजकल जिस प्रकार लोगों के मुंह पर काली स्याही फेंकी जा रही है उसको तो देखकर यही लगता है कि इस देश में बाकी सभी वस्तुओं के दाम तो आसमान पर हैं लेकिन काली स्याही के दाम सबसे नीचे। जरा याद करो उस पुराने दौर को जब किसी नौटंकी कार्यक्रम में जब कलाकार अच्छा प्रस्तुतिकरण नहीं देता था तब नीचे बैठे दर्शक किस प्रकार उस पर लाल-लाल टमाटर और अंडे फेंकेते थे। लेकिन अब महंगाई बढऩे के कारण न तो लोग अंडे फेंक रहे हैं और न ही टमाटर। महंगाई के कारण कुछ लोगों ने तो नौटंकी में जाना ही छोड़ दिया है। हां! नौटंकी करने वाले आज भी नौटंकी कर रहे हैं।
ऐसा लगता है कि बाबा रामदेव अपनी बात को ठीक ढंग से लोगों के बीच नहीं रख पाए। वे काला धन मांग रहे थे लेकिन कामरान सिद्धकी ने उन्हें काला रंग दे दिया। कामरान के पास काला धन तो नहीं था लेकिन उसका काला मन बड़ा खतरनाक था। कामरान के काले मन में पता नहीं कौन छुपा है लेकिन इतना तो तय है कि काली स्याही के पीछे कोई काला रहस्य जरुर छुपा हुआ है।
काली स्याही का एक और प्रयोग सोनिया गांधी के पोस्टर पर दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पर भी किया गया। स्याही पता नहीं किसने फेंकी। लेकिन दिल्ली की पुलिस की पड़ताल जर्बदस्त दिखाई दी। वे पोस्टर पर काली स्याही फेंकने वाले मुख्य आरोपी को तो पकड़ नहीं पाई हां! लेकिन उस डब्बे को जब्त कर लिया है जिसे काली स्याही फेंकी गई थी।
अगर काली स्याही महंगी होती तो मजाल है किसी की कि वो ऐसी हरकते करता। इसलिए जहां तक एक उपाय सूझ रहा है वह यह है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल काली स्याही के दाम बढ़ा दिए जाएं। प्रधानमंत्री जी अपने मंत्रियों और मंत्री अपने अधिकारियों को साफ तौर पर यह निर्देश दें कि इस तरह की काली करतूतों को रोकने के लिए अगर हो सके तो काली स्याही बनाने वालों की धरपकड़ की जाए। फेक्ट्रियों पर छापे मारे जाएं। काली स्याही किसी को भी उपलब्ध न कराई जाए।
कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जिस प्रकार बाबा रामदेव के समर्थकों की जमीन पर लिटाकर लातों से पिटाई की है और बाबा रामदेव के समर्थकों ने जिस प्रकार कामरान सिद्धकी की पिटाई की उसको देखकर तो ऐसा ही लगता है कि जल्द ही कुछ नहीं किया तो हालात बहुत बिगड़ सकते हैं। अभी उत्तर प्रदेश में चुनाव का माहौल है। नेताओं को जनता के घर वोट मांगने भी जाना है। इसलिए मेरी बातें मान लो तो अच्छा है। अगर नेताओं पर वोट की जगह किसी ने काली स्याही फेंक दी.. तो फिर मत कहना की बताया नहीं था।
सुमित 'सुजान' ग्वालियर