हमारे देश का कानून भी अजीब है। एक ओर गरीब आदमी अपनी रिपोर्ट लिखवाने के लिए गिड़गिड़ाता है वहीं दूसरी ओर प्रिंटी जिंटा जिनके साथ 15 दिन पहले छेड़छाड़ हुई उसकी रिपोर्ट तुरंत लिख ली जाती है।
जनता यूं ही गलतफहमी में थी कि 'अच्छे दिन आने वाले' हैं। जबकि यह नारा तो उस पार्टी के नेताओं के लिए था जो पिछले दस वर्षों से विपक्ष में बैठे हुए थे और आज सत्ता संभाल रहे हैं।
महंगाई बहुत है। जाने क्या होगा? हमने तो अपना दिमाग लगाना ही बंद कर दिया
है बिल्कुल प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी की ही तरह!! जैसे देश चल रहा
है वैसे ही हम घर चला रहे हैं। मैडम जो कह दें, वही मान लेते हैं
भारत जितनी तेजी से तरक्की कर रहा है, उसको देखकर मैं निश्चिततौर पर कह
सकता हूं कि भविष्य में केवल दो ही प्रकार के लोग सुखी रह सकेंगे। पहले वे
लोग जिनके बैंकों में खाते हैं, दूसरे वे लोग जो हर काम के लिए 'खाते' हैं।
कांग्रेस ने हम गरीबों को इस लायक भी नहीं छोड़ा कि हमारे पास 2005 के नोट
मिल जाएं। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि जिनके भी पास ऐसे नोट मिलेंगे
वह कोई नेता, अधिकारी या बड़ा व्यापारी ही होगा।
उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग के निर्देशों पर हाथियों को ढंकने का काम एक
बार फिर किया जा रहा है। मुझे एक बात बिल्कुल भी समझ नहीं आ रही है कि
पॉलीथीन से हाथी ढंकने से हाथी क्या 'कुत्ता' बन जाता है।
हमारे देश का कानून भी अजीब है। एक ओर गरीब आदमी अपनी रिपोर्ट लिखवाने के लिए गिड़गिड़ाता है वहीं दूसरी ओर प्रिंटी जिंटा जिनके साथ 15 दिन पहले छेड़छाड़ हुई उसकी रिपोर्ट तुरंत लिख ली जाती है।