Thursday, August 28, 2014

चुटकी

रुको! दृश्य अभी ऐसे आते मिलेंगे
दुनिया छोड़कर कुछ जाते मिलेंगे
जिनकी जरुरत थी पहले खाना
गठरी से उनकी बैंक 'खाते' मिलेंगे
सुमित 'सुजान'

चुटकी

राजनीति में अजब खेल हो गया,
नीतीश लालू का मेल हो गया
सबक सिखाएगी शायद जनता
गणित भाजपा का भी फेल हो गया
सुमित 'सुजान'

Thursday, August 14, 2014

ग़ज़ल


नज़रों को मेरी उलझा गया कोई
देखकर मुझे फिर मुस्कुरा गया कोई

उसकी अदाओं का बहुत दीवाना हूँ मैं
हरकतों से मेरी अंदाज़ा लगा कोई

आजकल रात दिन बैचैन सा रहता हूँ
आँखों से मेरी नींदे चुरा ले गया कोई

मोहब्बत का आप जादू देखिये
आया मेरा नाम शरमा गया कोई

सुमित 'सुजान'