Thursday, March 29, 2018

गजल

मेरी मोहबब्त को सहारा दे दो,
थोड़ा मुस्कुराकर इशारा दे दो।

धड़कना छोड़ दूंगा, ये दिल कहता है,
तुम इसे एक मौका दोबारा दे दो।

उम्मीद लगा के बैठीं हैं मेरी आँखें,
इन्हें भी ख्वाब कोई प्यारा दे दो।

भूल गईं, तुमको मैंने चाँद कहा था,
लाओ वापस वो खत हमारा दे दो।
                         
                              -सुमित राठौर

No comments:

Post a Comment