Wednesday, April 18, 2012

अपमान हुआ तो क्या हुआ... सम्मान तो हुआ

            बहस करना अच्छी बात है। बेकार की बहस यानी बेकार की बात। इसलिए बेकार की बहस कभी नहीं करना चाहिए। लेकिन हमारे पड़ौसी गुप्ता जी हैं कि मानते ही नहीं। सुबह-सुबह घर आ गए। पूछने लगे, न्यूयार्क जाना है कितना समय लगेगा। मैंने उनको बताया कि न्यूयार्क भारत से 12 हजार से अधिक किलो मीटर दूर है। हवाई यात्रा होती है। 12 घण्टे तो लगते ही होंगे। हां! शाहरूख खान के साथ जाओगे तो 2 घण्टे एक्स्ट्रा जोड़ लेना। अमेरिका वाले शाहरूख की जबरदस्त तलाशी लेते हैं। मुझे तो लगता है कि शाहरूख को अमेरिका जाना ही नहीं चाहिए।
          बस क्या था, शुरू हो गई बहस। गुप्ता जी बोले, हां आप तो ऐसा बोल सकते हो, क्योंकि शाहरूख के बारे में कुछ जानते ही नहीं। शाहरूख को अमेरिका क्यों नहीं जाना चाहिए? उनको वहां सम्मान मिलने वाला था। सम्मान, सम्मान होता है। चाहे इसके लिए अपमान होना हो तो हो जाए। क्या पता ''कल हो न हो''। वैसे भी अपमान को कौन याद रखता है, सम्मान तो हमेशा याद रखे जाते हैं। आप तो जानते ही नहीं इस ''बाजीगर'' को कितने सम्मान मिल चुके हैं।
         ''ओम शांति ओम'' करते-करते शाहरूख 14 फिल्मफेयर और 8  बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीतकर ''बादशाह'' बन चुके हैं। सिनेमा में उनके योगदान के लिए हमने उन्हें 2005 में पद्श्री भी प्रदान किया। लेकिन इतने सम्मानों से क्या होता है! हमें तो अमेरिका का भी सम्मान चाहिए। अब आपको क्या मालूम, अमेरिका के येल विश्वविद्यालय पहुंचने से पहले शाहरूख की तलाशी तो हुई लेकिन इसी विश्वविद्यालय में उन्हें विश्वविद्यालय का सर्वोच्च सम्मान ''चब फेलोशिप'' भी मिला था।
          आप देखना अब भूल जाएंगे कि अमेरिका में दो बार शाहरूख की जबदस्त तलाशी ली गई। सब भूल जाएंगे कि शाहरूख को कपड़े उतारकर तलाशी देना पड़ी। भाई साहब! ''कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है''। वैसे हमने इस घटना के बाद बहुत कुछ पाया भी है। अमेरिका ने शाहरूख का अपमान किया लेकिन शाहरूख को सम्मान मिला और हमें अमेरिका पर दबाव बनाने का मौका। आपने देखा नहीं क्या! हमारे विदेश मंत्री ने अमेरिका पर कितना दबाव बनाया। माफी तक मांगवा ली। वैसे अमेरिका पर हम दबाव कब बना पाते थे। लेकिन शाहरूख का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि वह बार-बार हमें ऐसा मौका देता है। भारतीय सम्मान कितने भी सम्मान से दिए जाएं कहां फर्क पड़ता है। हां! अपमान के बाद मिला सम्मान हमेशा याद रखा जाता है। इसलिए शाहरूख जितनी भी बार अमेरिका जाना चाहे जा सकते हैं। क्यों सही कहा न...।
          हां! गुप्ता जी आप सही कहते हैं। वैसे आप न्यूयार्क क्यों जा रहे हो? अरे! यह तो बताना ही भूल गया। न्यूयार्क में मुझे भी सम्मान मिलने वाला है। देखना मेरी भी तलाशी हुई तो सम्मान तो लेकर आऊंगा ही और माफी भी मंगवा लेंगे अमेरिका से.....।

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