देशवासी भले ही प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अर्थशास्त्री होने पर शक करते हो, लेकिन मैं नहीं करता। सबसे बड़ा और समझदार अर्थशास्त्री वही है जो अपनी कंपनी को घाटा पहुंचाए बिना सभी को संतुष्ट करते चलता है। जब से मनमोहन सिंह ने कांग्रेस कंपनी संभाली है तब से देखो न कंपनी कितने फायदे में चल रही है। काफी उठापठक के बाद भी यह कंपनी देश चला रही है।
वैसे इस कंपनी को संभालने वाले कई आए और गए लेकिन हमारे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कंपनी पूरी दुनिया में छा गई। हां! कई बार भारतीय जनता पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, अण्णा डीएमके, टीम अण्णा, योग गुरू बाबा रामदेव और जनता दल के सुब्रहण्यम स्वामी जैसी प्रतिद्वंदी कंपनियों ने कांग्रेस कंपनी को काफी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। हमारे प्रधानमंत्री का अर्थशास्त्र तो इतना बढिय़ा है कि उन्होंने तेल, कोयला, दूरसंचार, दवा जैसी किसी भी कंपनी को घाटा नहीं उठाने दिया। तेल कंपनियों ने जब भी नुकसान का शोर मचाया उन्होंने तुरंत दाम बढ़ा दिए। चाहे भले ही जनता को दिक्कत हुई हो। तीन साल में 16 बार दाम बढ़ाकर यही तो किया है। गरीब किसान कर्ज के बोझ तले भले ही आत्महत्या कर रहे हों लेकिन शराब कारोबारी विजय माल्या को कभी भी घाटा नहीं होने दिया।
यह हमारे प्रधानमंत्री का अर्थशास्त्र ही तो था जिसमें उन्होंने विजय माल्या की किंगफिशर एयर लाइन को घाटे से उबारने के लिए तीन हजार करोड़ रुपए का कर्ज दिया। यह हमारे प्रधानमंत्री का अर्थशास्त्र ही तो है जिसमें उन्होंने रिलायंस तेल कंपनी के मालिक मुकेश अंबानी का दुनिया में सबसे महंगा आशियाना बनवाने में मदद की। अगर मुकेश अंबानी घाटे में होते तो क्या ऐसा संभव था कि अरबों रुपए का महल तैयार हो पाता। अब बात इस कंपनी के कर्मचारियों की करते हैं।
यह प्रधानमंत्री का ही अर्थशास्त्र है जिसमें उन्होंने अपने मंत्रियों को आपस में मिल बांटकर भ्रष्टाचार करने की शक्ति प्रदान की। अब तो टीम अण्णा ने भी पूरी दुनिया में बता दिया कि इस कंपनी के 15 मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। पी. चिदंबरम, कपिल सिब्बल, कमलनाथ, सलमान खुर्शीद, प्रणब मुखर्जी जैसे कर्मचारियों ने किस प्रकार अपने-अपने कार्यकाल में अपने-अपने विभाग में भ्रष्टाचार किया यह भी सभी बता दिया है। 2-जी स्पेक्ट्रम आंबटन घोटाला, राष्ट्रमंडल खेल जैसे घोटालों की मदद से किसी को भी निराश नहीं किया, यह भी हमारे प्रधानमंत्री की ही अर्थशास्त्र है। घोटाले के आरोप में इन्हीं की कंपनी के एक कर्मचारी सुरेश कलमाड़ी गिरफ्तार हुए तो उन्होंने एक दूसरे मंत्री ए. राजा को भी जेल भेज दिया। ए. राजा भी कहीं नाराज न हो जाएं इसलिए उन्होंने कनिमोझी को भी जेल भिजवा दिया था।
भले ही हमारे देश में रुपए का संकट चल रहा है, देश की प्रतिष्ठा दांव पर है, महंगाई से आम आदमी दम तोड़ रहा है लेकिन अपनी म्यांमार की यात्रा में 50 अरब डॉलर की सहायता देना भी अर्थशास्त्र ही तो है। पहले निवेश करना, फिर कमाना। यह हमारे प्रधानमंत्री का अर्थशास्त्र ही तो है जिसके कारण उन्होंने कंपनी की मालकिन सोनिया गांधी के दिमाग पर जादू कर दिया है। मालकिन जो कहती हैं वही करते हैं। यही तो एक अच्छे अर्थशास्त्री की निशानी है। इसलिए हमारे प्रधानमंत्री के बारे में भले ही कोई कुछ भी कहे लेकिन देशवासियों को 'मन' मोहने वाला अर्थशास्त्री दूसरा कभी मिलने वाला नहीं है।