Tuesday, June 19, 2012

नए भारत की नई तस्वीर


            बच्चे बड़े भोले होते हैं। हमारे पड़ोस में रहने वाला पिंकू भी बहुत भोला है। सिर्फ 12 साल का ही तो है। सुबह घर आया था। पिंकू को अभी से ही अपने भविष्य की चिंता होने लगी है। मेरे पास आया, मुझसे कहता है कि अंकल 'मैं बड़ा होकर टूरिस्ट गाइड बनना चाहता हूं।' तब मैंने कहा- 'टूरिस्ट गाइड तो वैसे ही देश में बहुत हैं, जब तू बड़ा होगा तो न जाने कितने हो जाएंगे।' इतने तो देश में पर्यटन स्थल नहीं रह जाएंगे जितने की टूरिस्ट गाइड हो जाएंगे।
     'हां! आपने ठीक कहा, लेकिन मैं फिर भी कुछ अलग स्थल पर्यटकों को दिखाऊंगा। मैंने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है।'
        मैं भी जानता हूं कि पिंकू बड़ा जिद्दी है। अपनी तैयारी की फाइल दिखाते हुए बोला-'यह देखो अंकल मेरे पर्यटन स्थल।'  बाकई में उसके पर्यटन स्थल देखकर मैं भी आश्चर्यचकित था। पिंकू ने पहला पन्ना दिखाते हुए बोला- 'देखो अंकल यह योजना आयोग का दफ्तर है। इस दफ्तर में पर्यटकों को 35 लाख रूपए की लागत से बना हुआ टॉयलेट दिखाया जा सकता है। इसको दिखाने से हमारे देश की साख बढ़ेगी। क्योंकि जब हम 35 लाख रूपए का सिर्फ टॉयलेट बनवा सकते हैं तो फिर अन्य सुविधाओं पर कितना खर्च करते होंगे सोच सकते हैं।'
          इसके बाद यह देखो दिल्ली का रामलीला मैदान। यह वह स्थान है जहां पर कुछ साल पहले कालाधन धन भारत लाने की मांग करने वाले एक देशभक्त बाबा को दिल्ली पुलिस ने बुरी तरह से पीटा था।यही वह स्थान है जहां दिल्ली पुलिस ने जलियांवाला बाग का दृश्य निर्मित किया था। दिल्ली पुलिस जनरल डायर बन गई थी।
इसके बाद यह देखो केन्द्रीय दूरसंचार, कोयला और खेल मंत्रालय। यहां पर्यटकों को बताऊंगा कि यही वह स्थान है जहां पर 2-जी स्पेक्ट्रम, राष्ट्रमण्डल और कोयला आवंटन जैसे बड़े-बड़े घोटाले हुए। इसी प्रकार यह देखो राष्ट्रपति भवन। राष्ट्रपति भवन के बारे में बताया जाता है कि यहां देश के प्रथम नागरिक निवास करते हैं। लेकिन इस प्रथम नागरिक को यहां तक पहुंचने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं यह वही जानता है। प्रथम नागरिक बनने के लिए द्वितीय और तृतीय स्तर के नेताओं से जोड़-तोड़ तक करनी पड़ती है। यहां राष्ट्रपति अपनी यात्राओं पर 200 करोड़ रुपए तक खर्च कर देते हैं।
          इसके बाद यह देखिए लखनऊ और मुम्बई। लखनऊ में मायावती के हाथी पार्क। करोड़ों रुपए के हाथी पार्क को घुमने और घुमाने में बड़ा ही आनंद आएगा। ये मुम्बई में आर्थर रोड की जेल। यह भी घुमाऊंगा।
           यही वह जेल है जहां पर मुम्बई पर आतंकी कहर बरपाने वाला आतंकवादी अजमल आमीर कसाब सालों तक हमारे देश में पूरे ठाठ से रखा गया। जब तक हम उसे फांसी दे पाते बिचारा बूढ़ा होकर मर गया।
वाकई में यार पिंकू...! हमारे देश में तो यह भी देखने लायक स्थल हो सकते हैं मैंने तो सोचा ही नहीं था। 'अरे अंकल! ये तो कुछ भी नहीं है अभी तो और भी कुछ देखना बाकी है। नए भारत की नई तस्वीर तो और भी जबर्दस्त होगी...।'

1 comment:

  1. इस व्यंग में जबरदस्त तंज कसा है अपने... कभी कभी अकेले में बैठकर सोचने पर देश की इन परस्थितियों पर बड़ा दुःख होता है..

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