Thursday, April 11, 2013

मधुमक्खियों का निंदा प्रस्ताव


  • व्यंग्य/झुनझना
मैं अभी मधुमक्खियों का आक्रोश देखकर आ रहा हूं। बहुत नाराज हो रही थीं। जबसे युवराज राहुल गांधी ने देश को मधुमक्खी का छत्ता कहा तब से उनकी नींद उड़ी हुई है। अभी थोड़ी देर पहले ही मधुमक्खियों ने एक अधिवेशन किया जिसमें राहुल गांधी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव भी पारित किया गया। अधिवेशन में जैसे ही एक मधुमक्खी को बोलने का जैसे ही मौका दिया गया तो उसने कहा कि 'देश के राजनेताओं ने हर मामले में सूंघना कर दिया है। अब उन्होंने हमारे छत्ते पर भी राजनीति कर दी है। उसने रानी मधुमक्खी की ओर चिंता भरे अंदाज में कहा कि मुझे तो लगता है कि बड़े-बड़े घोटालों को करने के बाद अब राजनेता हमारे छत्ते से भी कोई न कोई घोटाला न कर दें। इसके बाद दूसरी मधुमक्खी की जब बारी आई तो उसके तीखे तेवर बिल्कुल तीर की तरह चल रहे थे। उसने अपने भाषण में कहा कि भारत जैसे देश को मधुमक्खी के छत्ते की तरह बताकर कहीं इसे भी लूटने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा। वैसे तो हमें लगता है कि सत्ता को छत्ता कहा जाना चाहिए। क्योंकि सत्ता में आते ही नेता सत्ता से चिपक जाते हैं। सत्ता छोडऩे का उनका मन ही नहीं करता है। हम मधुमक्खियां तो दूसरों के लिए मीठा-मीठा शहद बनाते हैं लेकिन ये नेता सत्ता के छत्ते में चिपककर शहद तो बनाते ही हैं और खुद ही हजम कर जाते हैं। और बदले में नफरत का रस समाज में घोल देते हैं। अब एक और मधुमक्खी बोली। ये राजनेता तो हमारे पुरखों तक पहुंच गए हैं। कल ही एक नेता कह रहा था कि मधुमक्खी देवी का अवतार हैं। पुराणों के मुताबिक मधुमक्खी को भ्रामरी देवी माना जाता है और उत्तराखंड में उनका मंदिर है। हमारे पुरखों को वैसे तो कभी पूछा नहीं अब सत्ता का लालची रस मन में घुल रहा है तो हमारे पुरखे तक ध्यान आ रहे हैं। इसलिए हम सभी एक मिल जुलकर इनकी बातों का प्रतिकार करना चाहिए। हमें चुप नहीं बैठना चाहिए। सभा के अंत में यह तय किया गया कि सभी मधुमक्खियां इस मामले को लेकर जल्द एक आंदोलन करेंगी और नेताओं से फिर कभी उनके मामले में दखलंदाजी नहीं करने की अपील करेंगी। इस रणनीति के बनते ही सारा माहौल भिन्न-भिन्न से गूंज गया मतलब की सभी ने इस प्रस्ताव को मान्य किया।

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