Sunday, November 30, 2014

चुटकी (भविष्य)

संसद में जोरदार हंगमा हुआ,
पूछा, काले धन का क्या हुआ।
सरकार बोली हम भी अचंभे में,
खाता मिला सबका खाली हुआ।।
सुमित 'सुजान'

Monday, November 24, 2014

साध्वी का संघर्ष

       एक समाचार हर बार देश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता हुआ नजर आता है। यह समाचार है साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का। साध्वी प्रज्ञा सिंह पर वर्ष 2008 में मालेगांव में हुए एक बम धमाके में शामिल होने का आरोप है। इसी आरोप के चलते साध्वी प्रज्ञा सिंह आज तक कठघरे में हैं जहां मुजरिम खड़े होते हैं। साध्वी प्रज्ञा सिंह पिछले 6 वर्षों से उन जांच एजेंसियों से जूझ रही हैं जिन्होंने उनसे इस घटना में शामिल होने का कबूलनामा करवाने के लिए क्या कुछ नहीं किया। एक बार फिर यह मामला सुर्खियों में है। सुर्खियों में आने का कारण भोपाल पहुंची सीआईडी टीम है। सीआईडी टीम ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से इस मामले में जब पूछताछ की तो साध्वी प्रज्ञा ने एटीएस (एंटी टेरिरिस्ट स्वाक्ड) के बारे में जो बातें बताई वह रोंगटे खड़े करने के लिए काफी है। बकौल साध्वी सीआईडी टीम को बताती हैं कि उन्हें किस तरह यातनाएं दी गईं। साध्वी प्रज्ञा ने बताया कि उनसे एटीएस अधिकारियों ने न सिर्फ अपशब्द बोले बल्कि उनके साथ मारपीट भी की। साध्वी प्रज्ञा सिंह को अश्लील ऑडियो सुनाना, जबरदस्ती नार्को टेस्ट, ब्रेन मैपिंग, साइकोलॉजी टेस्ट आदि करना कौन सी जांच का हिस्सा हो सकता है, यह विचारणीय प्रश्न है। आज साध्वी प्रज्ञा सिंह की हालत कैसी है, यह बताने के लिए सिर्फ यही काफी नहीं है कि उनका भोपाल के पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक कॉलेज में उपचार चल रहा है। आज साध्वी प्रज्ञा का शरीर उन पर हुए अत्याचार की कहानी स्वयं कहता है। जो युवती पहले टू व्हीलर पर थी, आज वह व्हील चेयर पर है। एक सवाल हर बार मन में बार-बार आता है कि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर हो रहे अत्याचारों पर आखिरकार मानव अधिकार संगठन वाले कहां दुबक कर बैठ जाते हैं? कश्मीर के अलगाववादियों की पैरोकारी करने वाले लोगों का साध्वी प्रज्ञा सिंह के अत्याचार पर दिल क्यों नहीं पसीजता? सेना और अलगाववादियों के संघर्ष पर क्यों हमेशा ही सेना को कठघरे में खड़ा किया जाता है? मानव अधिकार संगठन शायद इस बात को भली भांति समझते हैं कि अलगाववादियों की बात करके ही उनकी दुकान चल सकती है। साध्वी प्रज्ञा सिंह जैसे लोगों के लिए लडऩा शायद उनके पाठ्यक्रम में पढ़ाया ही नहीं जाता है। दूसरा सवाल जांच एजेंसियों पर होना चाहिए। सवाल यह हो सकता है कि साध्वी प्रज्ञा सिंह की हालत कैसे और क्यों हुई? सवाल यह भी हो सकता है कि क्या उन्होंने मुम्बई हमले के आतंकवादी अजमल कसाब और संसद हमले में शामिल मोहम्मद अफजल को भी ऐसी ही यातनाएं दी थीं। कसाब और अफजल अब इस दुनिया में नहीं हैं। उन्हेंं फांसी दे दी गई। लेकिन पूरी दुनिया ने देखा कि जब वे फांसी के फंदे पर झूले तो वे कितने तंदुस्त थे। साध्वी प्रज्ञा सिंह की आज जो हालत हुई है, उसके लिए तत्कालीन कांग्रेसनीत संप्रग सरकार को कठघरे में खड़ा किया जाए तो शायद गलत नहीं होगा। वर्ष 2008 में जब साध्वी प्रज्ञा सिंह को गिरफ्तार किया गया था तब देश के गृहमंत्री पी. चिदबंरम थे। साध्वी के जरिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे राष्ट्रवादी संगठन को घेरने की कोशिश की गई थी। कांग्रेस नेता चिदंबरम ने ही पहली बार 'हिन्दू आतंकवाद' शब्द को जन्म देकर देश में एक नई बहस की शुरुआत की थी। आज उसी विचार ने साध्वी प्रज्ञा सिंह की ऐसी दुर्दशा की है, ऐसा बार-बार प्रतीत होता है। लेकिन हमें साध्वी प्रज्ञा सिंह के उस जज्बे को भी सलाम करना चाहिए जो इतनी यातनाएं सहने के बाद भी हमेशा जांच में सहयोग दे रही हैं।

Wednesday, November 19, 2014

बजने लगा भारत का डंका

दुनिया में एक बार फिर भारत का डंका बजने लगा है। इसकी गूंज का अहसास प्रत्येक भारतीय के मन को आल्हादित और रोमांचित कर रहा है। पिछले कुछ दिनों से जो समाचार सुर्खियों में आए हैं उनका रिवीजन करके देखें तो गौरव का अनुभव होता है। एक तरफ भारतीय खिलाड़ी इतिहास रच रहे हैं तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने विजन से दुनिया के प्रत्येक रीजन को भारत की ओर देखने पर मजबूर कर रहे हैं। पहले बात भारत के खिलाडिय़ों की करते हैं जिन्होंने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से भारत को श्रेष्ठतम बनाया। कौन भूल सकता है भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी रोहित शर्मा को जिन्होंने श्रीलंका के खिलाफ कोलकाता के ईडन गार्डन में खेले गए मैच में एक बार फिर दोहरा शतक लगाकर इतिहास रच दिया। रोहित की 264 रनों की पारी ने बताया कि क्रिकेट में भारत वह कर सकता है जो दुनिया का कोई बल्लेबाज अभी तक नहीं कर सका। इस खेल में अभी तक चार दोहरे शतक लगे हैं, जो सभी भारतीय खिलाडिय़ों के नाम दर्ज हैं। इसी क्रम में हमारी टीम पांचवें एक दिवसीय मैच में एक बार फिर श्रीलंका को हराकर शृंखला को जीत कर भारत आईसीसी की वनडे रैंकिंग में पहले स्थान पर पहुंच गयी है। खेलों की इसी कड़ी में भारतीय शटलर साइना नेहवाल और किदाम्बी श्रीकांत ने चीन में इतिहास रचकर भारत का गौरव बढ़ाया। इन दोनों ही खिलाडिय़ों ने चीन की धरती पर चाइना ओपन सुपर सीरीज के मुकाबले जीतकर खिताब अपने नाम किया और जिसकी खुशी से प्रत्येक भारतीय का शीश गर्व से ऊंचा हुआ। अब बात प्रधानमंत्री मोदी की करते हैं, मोदी दस दिन के विदेशी दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अपनी यात्रा के दौरान जो भी कहते हैं और जो भी करते हैं उसे पूरी दुनिया टकटकी लगाकर देखती और ध्यान लगाकर सुनती है। पहले म्यांमार के आसियान सम्मेलन में और फिर ऑस्टे्रलिया के जी-20 सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने जो कहा उसे दुनिया के देशों ने सुना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिस्बेन में जब भारतीय योग के महत्व को बताया तो दुनिया के एक सैकड़ा से अधिक देशों ने उनकी बात का न सिर्फ समर्थन किया बल्कि विश्व में योग दिवस मनाने का विचार भी किया। इसी प्रकार महात्मा गांधी, ग्लोबल वार्मिंग और आतंकवाद पर अपने जो विचार मोदी ने रखे वह भी दुनिया के अनेक देशों में भारत का मान बढ़ाते हुए दिखाई देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ऑस्टे्रलिया में 'मोदी एक्सप्रेस' ट्रेन तक चलाना पड़ी। कुल मिलाकर इन सभी बातों पर गौर करें तो ऐसा लगता है कि भारत का विश्व विजयी अभियान शुरु हो चुका है। भारत की तरक्की से दुनिया के सभी देश अचंभित हैं। आने वाले वर्षों में भी तरक्की का यही क्रम बना रहा तो निश्चित रूप से पूरी दुनिया में सिर्फ और सिर्फ भारत ही दिखाई देगा।

Saturday, November 15, 2014

चुटकी

नेताओं ने अच्छा पति धर्म निभाया है,
पत्नियों को फॉर्म चुनावी भरवाया है।
न जाने क,ख, ग, जो राजनीति का,
उन्हें लोकतंत्र की देहरी पर चढ़ाया है।।
 सुमित 'सुजान'