गजल
उन्हें अपनी खूबसूरती पर ग़ुमान है,
क्योंकि मेरा दिल उन पर मेहरबान है।
कुछ लोगों के इशारे पर जला दी बस्ती
तेरे शहर का शख्स कितना नादान है।
अच्छा भला था जब रहता था मेरे साथ,
जब से नेता बना है तब से बेईमान है।
परिंदों की तरह हैं मेरे भी सपने,
मेरे सर भी तो आसमान है।
सुमित राठौर
उन्हें अपनी खूबसूरती पर ग़ुमान है,
क्योंकि मेरा दिल उन पर मेहरबान है।
कुछ लोगों के इशारे पर जला दी बस्ती
तेरे शहर का शख्स कितना नादान है।
अच्छा भला था जब रहता था मेरे साथ,
जब से नेता बना है तब से बेईमान है।
परिंदों की तरह हैं मेरे भी सपने,
मेरे सर भी तो आसमान है।
सुमित राठौर
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