Friday, October 11, 2019

गजल

खुद को भूल गया हूँ तब से,
तुमको दिल दिया है जब से।

मैं अब भी इस इंतज़ार में हूँ,
तुम खुद को भूलोगी कब से।

वो तेरी आँखों में आंसू नहीं देगा,
मेरी बात हुई है आज रब से।

लाखों चेहरे देखे हैं मैंने मगर,
तुम ही अच्छी लगती हो सबसे।

उससे मुलाकात याद रहती है,
मिलता है वो हर बार अदब से।
                        - सुमित राठौर

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