Thursday, March 12, 2020

कोई जब रूठ जाता है तो...

कोई हसीना जब रूठ जाती है तो और भी हसीन हो जाती है। मेरे इस रोमांटिक मूड को पंक्चर करते हुए बीबी ने तुरंत पूछा- अगर कोई विधायक रूठ जाए तो...! मैंने कहा- विधायक रूठ जाए तो राजनीतिक भूकंप आ जाता है। नेता इधर-उधर होने लगते हैं। कुछ तो प्रदेश छोड़कर चले जाते हैं। किसी दूसरे प्रदेश के किसी आलीशान होटल में छुप जाते हैं। गठबंधन का विधायक यदि रूठ जाए तो सत्ताधारियों को 'छठी का दूध याद' दिला देता है। रूठा विधायक यदि सीधा हुआ तो उसके कुछ मनमाफिक काम हो जाते हैं, यदि कोई कन्त्री होता है तो वह मंत्री बन जाता है। रूठा हुआ विधायक उस प्रेमिका की तरह हो जाता है, जिसे मनाने के लिए प्रेमी फिर चांद-तारे तोड़ने तक के वादे कर बैठता है। जबकि प्रेमी यह अच्छी तरह जानता है कि चांद-तारे उसका बाप भी नहीं तोड़ सकता।
    फिर बीबी ने दूसरा प्रश्न किया- यदि मुख्यमंत्री रूठ जाए तो...! मैंने कहा- मुख्यमंत्री रूठ जाए तो फिर वह राजनीति छोड़कर कूटनीति पर उतर आते हैं। वहां राजनीति बहुत पीछे छूट जाती है। कूटनीति, राजनीति से ज्यादा ताकतवर होती है। राजनीति में मनाने की कोशिश होती है, जबकि कूटनीति में कूटने की। जैसे विपक्षी विधायकों के रिसॉर्ट तुड़वा दो। कोई पुराने घोटाले की फ़ाइल खुलवा दो। कुछ के यहां ईओडब्ल्यू और सीबीआई के छापे डलवा दो। मुझे तो लगता है कि जब किसी का सीबीआई ऑफिसर के लिए इंटरव्यू होता होगा तो उससे एक प्रश्न यह भी पूछा जाता होगा कि आप सरकार को बचाने के लिए क्या-क्या हथकंडे अपना सकते हो, कृपया एक्सप्लेन कीजिए। जब वह बता देता होगा, तब उसकी नियुक्ति होती होगी। कुछ मुख्यमंत्री पत्र भी लिख देते हैं। जो अखबारों में छपता है। उस पत्र में मुख्यमंत्री अपने आपको लाचार बताते हैं। राजनीतिक भूकंप की पूरी टोपी विपक्षी दल को पहना दी जाती है। मुख्यमंत्री के रूठने पर सबसे ज्यादा नुकसान विरोधी पार्टी के विधायकों को होता है।
   जनता रूठ जाए तब क्या होता है...बीबी ने तीसरा प्रश्न किया! मैंने कहा कि जनता को रूठने का मौका 5 साल में एक बार ही मिल पाता है। सरकार के पूरे कार्यकाल में जनता कितनी भी रूठे सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि उनकी सुनने वाले चुनाव के समय ही आते हैं। बीच में कभी आ भी गए तो कमबख्त आश्वाशन देकर लौट जाते हैं। जनता के रूठने पर सरकार के 'कानों में जूं तक नहीं रेंगती'! हाँ इलेक्शन के टाइम पर जनता का रूठना बहुत खतरनाक होता है। जनता का रूठना क्या होता है वह विपक्ष के लोगों को पता होता है।
    अबकी बार पत्नी ने चौथा प्रश्न किया, बोली मैं रूठ जाऊं तो? मैंने कहा- तुम तो हसीन हो जाती हो ना।

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