दिल्ली से लौट रहा था। मेरी सामने वाली सीट पर हमारे पड़ौसी रामदीन जी मिल गए। रामदीन जी सीधे-सादे इंसान हैं ऐसा दिखने के लिए उन्होंने अपना हुलिया भी बनाया हुआ था। सफेद खादी का कुर्ता, पैरों में हवाई चप्पल और सर पर गांधी टोपी जिस पर लिखा था मैं अण्णा। उनके हुलिए को देखकर यह समझने में देर नहीं लगी कि वह जंतर-मंतर अण्णा हजारे के अनशन से आ रहे हैं। अनशन समाप्ति की घोषणा के बाद वे वापस लौट रहे थे। उनके द्वारा मुझे पहचानते ही मन बड़ा प्रसन्न हुआ कि चलो सफर अच्छा कट जाएगा।
वैसे तो मैंने कभी भी रामदीन जी को गुस्सा होते हुए नहीं देखा लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरी एक चुटकी से वह इतना उखड़ जाएंगे। मैंने मजाक में उनसे कहा ''लो अब भ्रष्टाचार की समस्या को समाप्त करने के लिए नई पार्टी बनेगी। हम वैसे ही नेताओं से परेशान हैं और अण्णा हजारे ने भी नई पार्टी बनाने की घोषणा कर दी।'' इस बात पर वह एकदम नाराज हो गए। तपाक से बोले! ''देखो साहब यह तो भारत का इतिहास रहा है कि पार्टी या संगठन के बिना किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। वैसे भी हमारे यहां तो कहावत भी है कि 'अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।' हमने अंग्रजों से भारत को आजाद कराने के लिए भी तो कई दल बनाए थे। अब समय बदल गया है बाबूजी। पहले कहा जाता था-'संगठन में शक्ति है'। लेकिन अब नई सोच ने जन्म लिया है। इसलिए नई सोच पर चलो और यह मान लो कि 'दल गठन में शक्ति है।'
रामदीन जी के प्रभावी प्रवचन सुनते ही मेरे दिमाग ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। दिमाग में आइडिया आया कि जिस प्रकार अण्णा हजारे ने भ्रष्टाचर की समस्या के समाधान के लिए नई पार्टी बनाने की घोषणा की है तो क्यूं न अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए भी दल बनाए जाएं। मैंने इस कल्पना को रामदीन जी के सामने रखा तो उन्होंने भी शाबाशी देकर मेरा हौंसला बढ़ाया।
कल्पना कुछ इस प्रकार है कि भारत में जो भी प्रमुख समस्याएं हैं उनको समाप्त करने के लिए लोग आगे आएं और नया दल बनाएं। उदाहरण के लिए बेरोजगारी। इस समस्या के समाधान के लिए पूरे देश के युवा एक पार्टी का निर्माण कर सकते हैं। उनकी पार्टी का नाम आरबीएस अर्थात् राष्ट्रवादी बेरोजगार सेना हो सकता है। इसी प्रकार नक्सली अपनी बात मनवाने के लिए एनडी (यू) अर्थात् नक्सली दल (यूनाइटेड) का गठन कर सकते हैं। नक्सलियों की समस्याएं खत्म होंगी तभी नक्सवाद की समस्या का समाधान हो सकता है। आतंकवाद भी भारत में एक बड़ी समस्या है। इसलिए जिन परिवारों के लोगों ने अपना बलिदान आतंकी घटनाओं में दिया है वह सब मिलकर एव्हीडी (आतंकवादी विरोधी दल) बना सकते हैं। गैस पीडि़त जीपीपी (गैस पीडि़त पार्टी), आरक्षण मांगने वाले आरडीडी (आरक्षण दिलाओ दल), भुखमरी दूर करने के लिए बीएमएम (भुखमरी मुक्ति मोर्चा), गरीबी की समस्या दूर करने के लिए गरीब जनता जीपीएच (गरीब पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान)जैसी नई पार्टी बना सकते हैं।
जिस प्रकार टीम अण्णा ने तैयारी कर ली है, इसी प्रकार सबको कर लेनी चाहिए। चुनाव आने वाला है। हमें संसद का शुद्धिकरण भी तो करना है और भारत को समस्याओं से मुक्त भी। इसलिए रामदीन जी की तरह मैं भी मानने लगा हूं कि- 'दल गठन में शक्ति है।' जय हिन्द!
वैसे तो मैंने कभी भी रामदीन जी को गुस्सा होते हुए नहीं देखा लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरी एक चुटकी से वह इतना उखड़ जाएंगे। मैंने मजाक में उनसे कहा ''लो अब भ्रष्टाचार की समस्या को समाप्त करने के लिए नई पार्टी बनेगी। हम वैसे ही नेताओं से परेशान हैं और अण्णा हजारे ने भी नई पार्टी बनाने की घोषणा कर दी।'' इस बात पर वह एकदम नाराज हो गए। तपाक से बोले! ''देखो साहब यह तो भारत का इतिहास रहा है कि पार्टी या संगठन के बिना किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। वैसे भी हमारे यहां तो कहावत भी है कि 'अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।' हमने अंग्रजों से भारत को आजाद कराने के लिए भी तो कई दल बनाए थे। अब समय बदल गया है बाबूजी। पहले कहा जाता था-'संगठन में शक्ति है'। लेकिन अब नई सोच ने जन्म लिया है। इसलिए नई सोच पर चलो और यह मान लो कि 'दल गठन में शक्ति है।'
रामदीन जी के प्रभावी प्रवचन सुनते ही मेरे दिमाग ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। दिमाग में आइडिया आया कि जिस प्रकार अण्णा हजारे ने भ्रष्टाचर की समस्या के समाधान के लिए नई पार्टी बनाने की घोषणा की है तो क्यूं न अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए भी दल बनाए जाएं। मैंने इस कल्पना को रामदीन जी के सामने रखा तो उन्होंने भी शाबाशी देकर मेरा हौंसला बढ़ाया।
कल्पना कुछ इस प्रकार है कि भारत में जो भी प्रमुख समस्याएं हैं उनको समाप्त करने के लिए लोग आगे आएं और नया दल बनाएं। उदाहरण के लिए बेरोजगारी। इस समस्या के समाधान के लिए पूरे देश के युवा एक पार्टी का निर्माण कर सकते हैं। उनकी पार्टी का नाम आरबीएस अर्थात् राष्ट्रवादी बेरोजगार सेना हो सकता है। इसी प्रकार नक्सली अपनी बात मनवाने के लिए एनडी (यू) अर्थात् नक्सली दल (यूनाइटेड) का गठन कर सकते हैं। नक्सलियों की समस्याएं खत्म होंगी तभी नक्सवाद की समस्या का समाधान हो सकता है। आतंकवाद भी भारत में एक बड़ी समस्या है। इसलिए जिन परिवारों के लोगों ने अपना बलिदान आतंकी घटनाओं में दिया है वह सब मिलकर एव्हीडी (आतंकवादी विरोधी दल) बना सकते हैं। गैस पीडि़त जीपीपी (गैस पीडि़त पार्टी), आरक्षण मांगने वाले आरडीडी (आरक्षण दिलाओ दल), भुखमरी दूर करने के लिए बीएमएम (भुखमरी मुक्ति मोर्चा), गरीबी की समस्या दूर करने के लिए गरीब जनता जीपीएच (गरीब पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान)जैसी नई पार्टी बना सकते हैं।
जिस प्रकार टीम अण्णा ने तैयारी कर ली है, इसी प्रकार सबको कर लेनी चाहिए। चुनाव आने वाला है। हमें संसद का शुद्धिकरण भी तो करना है और भारत को समस्याओं से मुक्त भी। इसलिए रामदीन जी की तरह मैं भी मानने लगा हूं कि- 'दल गठन में शक्ति है।' जय हिन्द!
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