व्यंग्य/झुनझुना
बेटा होने पर खुशी होती है लेकिन हमारे रामदीन जी तो सुबह से ही चिंता में डूबे हुए थे। आजकल जयपुर में रहते-रहते सबकी हालत कांगे्रस की तरह हो गई है। बात-बात के लिए चिंतन होने लगता है। खैर हमारे रामदीन जी की चिंता अपने बेटे के नामकरण के लिए थी। रामदीन जी मेरे पास आए और बोले-'यार... बेटा तो हो गया लेकिन इसका क्या नाम रखना चाहिए, आप कुछ बता सकते हो क्या?' मैंने कहा- 'देखो भाई रामदीन। नामकरण ऐसे एकदम नहीं होता। आप और मैं चिंतन करते हैं शायद कोई नाम निकल आए।' 'हां यह ठीक रहेगा'-रामदीन जी बोले।
थोड़ी देर चिंता करने के बाद मैंने रामदीन जी से कहा- 'इसका नाम 'मनमोहन रख दो'। 'मनमोहन' नाम सुनते ही रामदीन जी हंसते हुए बोले- 'अरे नहीं...नहीं...।' यह नाम नहीं रखना। इस नाम के व्यक्ति बड़े पद पर पहुंचकर एकदम 'मौन' हो जाते हैं। खुद कोई निर्णय नहीं ले पाते, हमेशा किसी न किसी के इशारों पर चलते हैं। इसलिए इसके अलावा कोई दूसरा नाम सोचिए हुजूर...।
इसके बाद मुझे एक नाम और सूझा 'ओमप्रकाश'। तब रामदीन जी बोले-'यार... आपको मेरे बेटे को जेल में भेजना है क्या। 'ओमप्रकाश' नाम के व्यक्तियों का वैसे ही समय ठीक नहीं चल रहा है। बड़े होकर कहीं कोई घोटाला कर दिया तो सीधे जेल में ही जाना पड़ेगा। कुछ और सोचो।'
अब एक नाम रामदीन जी ने सुझाया, इसका नाम 'नरेन्द्र' रख देते हैं। मैंने कहा-'देखो भाई 'नरेन्द्र' नाम तो ठीक है लेकिन इसकी तरक्की कई लोगों से देखी नहीं जाती है। अपने ही लोग इसे आगे बढऩे से रोकते हैं। बेचारे की पूरी जिंदगी अपने ही लोगों से जूझते-जूझते कट जाएगी, इसलिए दूसरे नाम पर विचार करना ठीक रहेगा।'
'मुलायम' कैसा रहेगा'-मैंने एक और नाम ध्यान में लाया। रामदीन जी ने इसे भी मना करते हुए कहा-'इस नाम के व्यक्ति नाम के विपरीत आचरण करते हैं। 'मुलायम' नाम का व्यक्ति हमेशा कहता कुछ है और करता कुछ है। इसके मन में हमेशा किसी न किसी तरह का लालच रहता है।'
फिर अचानक हम दोनों ने एक ही समय पर एक ही नाम बोला-'राहुल'! रामदीन जी बोले-'हां यार... यह नाम एकदम ठीक रहेगा। इस नाम वाले व्यक्ति के रास्ते में कोई रुकावट नहीं आती। अपनी नौटंकियों और चालाकियों से लोगों की भावनाओं से खेलता हुआ तरक्की पाता जाता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात कभी-कभी तो 'सत्ता का जहर' भी पीने का मौका आया तो वह भी पी लेगा।'
आखिरकार हमारा चिंतन भी कांग्रेस की तरह 'राहुल' पर आकर ही समाप्त हुआ। चिंतन करने से चिंता समाप्त हो गई। यह हमने तो अनुभव करने देख लिया, आप भी कर सकते हैं।