देश संभालना, घर संभालने से कई गुना आसान है। इस बात का एहसास आज
हमारे पड़ोसी नेताजी को हुआ। पूरे देश में जिस तरह मायूसी का माहौल है, ठीक
उसी प्रकार नेताजी की पत्नी का चेहरा भी सुबह से ही मायूस था। इसी बीच
पत्नी झल्लाते हुए बोली-'आपको शर्म तो आती नहीं। कम से कम हमारा ख्याल तो
रख लिया करो। पूरे मोहल्ले में नाक कटवा दी आपने। सुबह से ही ताने सुनने को
मिल रहे हैं। सुबह ही गुप्ता जी की मिसेज कह रही थीं कि दुष्कर्म की
पीडि़त 'दामिनी' ने दम तोड़ दिया है और नेताजी बिल्कुल भी शर्मिंदा नहीं
हैं। कम से कम ऐसे समय में तो अपने 'घडिय़ाली आंसुओं' का इस्तेमाल कर लिया
कीजिए।' पत्नी की झल्लाहट के बाद नेताजी हंस दिए। हंसते हुए बोले-'अरे
भाग्यवान' तुम भी ना... जरा-जरा सी बात को दिल पर ले लेती हो। मैंने जिस
दिन से यह चोला धारण किया है तब से शर्म बची ही कहां है! अब शर्म बाजार में
तो मिलती नहीं कि खरीद लाऊं। वैसे भी हम ऐसे शर्मिंदगी महसूस करने लगें तो
फिर चलने लगीं सरकारें! अगर हमें शर्म आती तो हम कब का जनलोकपाल बिल ले
आते। संसद में हम जनलोकपाल बिल को क्यों फाड़ते? तुम ही बताओ! हमारे
साथियों ने टू-जी स्पेक्ट्रम आवंटन, कोयला खदान आवंटन, राष्ट्र मण्डल खेल,
आदर्श सोसायटी जैसे कितने घोटाले किए लेकिन किसी को शर्म आई क्या? हमारे
साथी तो एनजीओ बनाकर विकलांगों की वैशाखियों तक के करोड़ों रुपए डकार गए,
कभी शर्म आई क्या? चलो काला धन को ही ले लो। बेचारे बाबा कब से कह रहे हैं
कि देश में काला धन वापस आना चाहिए। हम लाए क्या? उल्टा हमने रामलीला मैदान
को जलियावाला बाग बना दिया। हमें शर्म आई क्या? आतंकवाद के खिलाफ कितने
कड़े कदम उठाए लेकिन पाकिस्तान के मंत्री भारत आए तो हमने उन्हें पलकों पर
बैठाया, क्रिकेट मैच हो रहे हैं। हमें शर्म आई क्या? महंगाई कहां से कहां
पहुंच गई, पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, हमारे लोगों ने छोटे
व्यापारियों का दम तोडऩे के लिए एफडीआई को मंजूरी भी दिलवा दी, संसद पर
हमला हुआ, हमने स्मारक बनाने में करोड़ों रुपए फंूक दिए, हमने ही एक परिवार
को 600 रुपए प्रतिमाह परिवार चलाने के लिए कहा और हम ही अपने भोज में 29
लाख रुपए खर्च करते हैं, हम एकता की बात करते-करते आरक्षण में भी आरक्षण के
लिए प्रयास कर रहे हैं। हमने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की वस्तुओं की
नीलामी को भी नहीं रोका। जब हमको ऐसे किसी भी मामले में शर्म नहीं आई तो अब
इस घटना पर भी शर्मिंदगी महसूस होना काफी मुश्किल है? हां! अगर तुम कहती
हो तो मैं कोशिश करके देख सकता हूं!!!
No comments:
Post a Comment