Wednesday, January 9, 2013

धन्यवाद गृहमंत्री जी...!

      
  किसी भी घटना पर कोई कदम उठाना अपने आप में बड़ी बात होती है। कड़े कदम उठाना तो और भी बड़ी बात। क्योंकि हमारे देश में कड़े कदम उठाने से पहले व्यक्ति, धर्म, जाति का ख्याल रखना पड़ता है। कड़े बयान तो चाहे आप कभी भी दिलवा लो, लेकिन कड़े कदम उठाने के लिए अनुमति लेना ही पड़ती है। कहीं मैडम नाराज हो गईं तो! कई बार तो अनुमति लेने में इतने वर्ष बीत जाते हैं कि लोग उस घटना को ही भूल जाते हैं कि यह कड़ा कदम किस घटना के लिए उठाया गया है। हमारे गृहमंत्री भी महिलाओं एवं कमजोर तबके के लोगों के खिलाफ होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की बात कह रहे हैं। गृहमंत्री जी कह रहे हैं कि भारतीय सभ्यता बताती है कि हर महिला माता, पत्नी, बहन और बेटी होती है। यह बात बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है कि हमारे समाज में महिलाएं डर के साए में रहे। समाज के सभी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार का काम है। इस बात के लिए तो वास्तव में गृहमंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देने की हार्दिक इच्छा हो रही है। क्योंकि उन्होंने याद दिलाया कि समाज के सभी लोगों की सुरक्षा करना सरकार का काम है। वरना मैं तो यह भूल ही गया था। आजकल देश में जिस प्रकार से केन्द्र में सरकार कार्य कर रही है उससे मैं तो यह समझ रहा था कि सरकार सिर्फ घोटाला करने के लिए होती हैं। मैं समझता था कि सरकार जन आंदोलनों को कुचलने के लिए होती हैं। ऐसा लगता था कि सरकार केवल उद्योगपतियों के इशारों पर चलती है। मैं समझता था कि सरकार केवल अपने तरीके से सीबीआई और लोकायुक्तों का प्रयोग करने के लिए होती है। मैं तो समझता था कि सरकार का काम सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर अपने विचार व्यक्त करने वाले लोगों को गिरफ्तार करना होता है। मैं समझता था कि सरकार का काम राष्ट्रवादी संगठनों को सांम्प्रदायिक बताकर देश की एकता और अखण्डता को प्रभावित करना होता है। हम तो समझते थे कि सरकार रक्षा बजट में 10 हजार करोड़ रुपए की कटौती करने के लिए होती हैं। हम तो समझते थे कि सरकार दुश्मनों के साथ क्रिकेट खेलने के लिए होती है। अच्छा हुआ गृहमंत्री जी ने मेरे भ्रम को जल्दी दूर कर दिया। मैं लोगों से यूं ही उलझ जाया करता था। अब मैं उनसे बात तो कर सकता हूं कि देखो सरकार का काम हमारी सुरक्षा करना है। कभी-कभी अपवाद हो जाता है जब पुलिस सुरक्षा करने के बजाए थाने की सीमा विवाद के चक्कर में उलझ जाती है और पीडि़त दुनिया से चल बसता है। कभी-कभी अपवाद हो जाता है जब सरकार पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाने के लिए प्रदर्शन करना पड़ता है। धन्यवाद गृहमंत्री जी...!

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