Tuesday, July 3, 2012

महंगे देश में सस्ता जीवन

     भइया भारत में तो अब रहना मुश्किल हो गया है। अब देखो ना- सरकार ने सेवाकर की दरें भी बढ़ा दी हैं। मोबाइल से बात करने से लेकर  रेस्ट्रां में खाना खाना तक महंगा हो गया है। लेकिन मैंने इस महंगे देश में सस्ते जीवन की तलाश कर ली है। हां! इसके लिए काफी खोजबीन करनी पड़ी। अंत में समझ आया कि आम आदमी से बेहतर तो आतंकवादियों का जीवन है। पुलिस भी आए दिन कोई न कोई आतंकवादी को पकड़ कर रही है। आतंकवादियों की अच्छी खुशामद भी की जाती है।
       खोज में मैंने पाया कि संसद हमले का मुख्य आरोपी मोहम्मद अफजल गुरू आज भी जेल में सुखी जीवन बिता रहा है। 11 साल तक कोई भी उसका बाल भी बांका नहीं कर पाया। इसी प्रकार मुम्बई में 26 /11 के आतंकवादी हमले में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमीर कसाब पर आज तक करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। अभी हाल में महाराष्ट्र सरकार के गृहमंत्री आर.आर. पाटिल ने विधान परिषद में जो आंकड़ा प्रस्तुत किया उसमें भी बताया कि सरकार कसाब पर लगभग 21 करोड़ से अधिक खर्च कर चुकी है। पाटिल ने बताया कि 29 फरवरी 2012 तक सरकार ने कसाब के स्वास्थ्य पर 28,066 , सुरक्षा पर 1,22,18 ,406  रुपए, खाने पर 34,975 रुपए खर्च कर दिया है। इसके अलावा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस पर महाराष्ट्र सरकार ने 19 करोड़ 28  लाख रुपए खर्च कर दिए हैं। कसाब की इतनी सुरक्षा और खातिरदारी से मैं काफी प्रभावित हुआ हूं। भारत में इससे ज्याद सुरक्षित स्थान और कौन सा हो सकता है...।
    अंदर की बात बताऊं तो पाकिस्तान भी इस बात को समझ गया है। इसलिए आए दिन रोज नए आतंकवादी पकड़ आ रहे हैं। अभी कुछ ही दिन पूर्व जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबू जंदल उर्फ अबू हमजा को हमारी पुलिस ने मुम्बई हमले के मास्टर माइंड के रूप में पकड़ा है। सऊदी अरब से एक और आतंकवादी फसीह महमूद को भारत लाने की तैयारी की जा रही है। अब इन आतंकवादियों को भारत की जेलों में बंद रखा जाएगा। जब तक जांच चलेगी तब तक मस्त खातिरदारी की जाएगी।
         यही अब नई चाल है पाकिस्तान की! पाकिस्तान ने बम धमाकों से हमला करना बंद कर दिया है। अब वह आतंकवादियों को गिरफ्तार करा कर हमारी अर्थव्यवस्था को चौपट करना चाहता है। इसी चाल के तहत उसने 30 साल सजा काट चुके सुरजीत सिंह को रिहा कर दिया। वहां से हमारे लोग रिहा कर भारत भेजे जा रहे हैं।
हमारी सरकार भी ऐसी नासमझ है कि पूछो मत। जो जेल के बाहर हैं वह महंगाई से मरे जा रहे हैं तथा जेल के भीतर जाने वाले आतंकवादियों  की एक-एक ख्वाहिश पूरी की जाती है। वो जो मांगते हैं उन्हें उपलब्ध करा दिया जाता है। इधर महंगाई कम नहीं हो रही उधर सरकार ने सेवाकर की दरें बढ़ा दीं। पता है जुआ, लॉटरी जैसी 38  सेवाओं को छोडक़र 119 सेवाएं महंगी कर दी गई हैं। इसलिए मैं इस महंगे देश में सस्ते जीवन जीने के लिए आतंकवादी बनने की सोच रहा हूं। सोच रहा हूं कि मुम्बई हमले में कहीं न कहीं कोई अपनी भूमिका बताकर एक बार जेल के भीतर पहुंच जाऊं। जब तक जांच चलेगी तब तक तो उम्र कट ही जाएगी...।

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