Wednesday, July 18, 2012

मेरे भी तो फरमान सुन लो...


           कल ही कुछ गांव वाले सुबह-सुबह घर पर आ पहुंचे। पहले तो मुझे लगा कि कौन सी गलती हो गई जो यह टोली आ पहुंची। किसी के कंधे पर बंदूक है तो कोई लट्ठ थामे मेरे सामने सीना ताने खड़ा हो गया। इतने में एक पहलवान सा आदमी दोनों हाथ जोडक़र बोला-''बाबूजी आप तो समझदार और पढ़े लिखे हैं क्या आप हमें एक बात समझा सकते हैं?'' जब उसने हाथ जोड़े तो मेरे शरीर में आत्मविश्वास का संचार तेजी से होने लगा और जब उसने मेरे सम्बोधन में समझदार शब्द जोड़ा तो मेरा सीना भी चौड़ा हो गया। मैंने कहा-''हां! हां! पूछो क्या पूछना है।''
           गांव वाले बड़े भोले होते हैं ऐसा मैंने सुना था लेकिन देखा पहली बार। अबकी बार दूसरा बोल पड़ा-''बाबूजी हम पास के गांव से आए हैं।''  एक समाचार पता चला है कि आपकी पंचायत ने कुछ फरमान सुनाए हैं। जिसमें 40 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को सूर्य अस्त के बाद बाजार न जाने, मोबाइल पर बात न करने, प्रेम प्रसंग न करने और कान में लीड लगाकर गाने न सुनने का फरमान सुनाया गया है। हम भी चाहते हैं कि बढ़ते अपराधों को रोकने की इस दूरगामी योजना को अपनी पंचायत द्वारा अपने भी गांव में लागू कराएं।
         अबकी बार मैंने उनके हाथ जोड़े और कहा-''हां! हमारी पंचायत ने फैसला सुनाया है लेकिन मैंने जितना इस फरमान का अध्ययन किया है उससे इसमें मुझे कई खामियां ज्ञात हुईं हैं।''  खामियां.... हां! हा! खामियां। अब मैं अपनी समझदारी की ओर बढ़ रहा था। मैंने उन्हें बताया कि देखो पंचायत ने फरमान दिया है कि 40 से कम उम्र की महिलाएं सूर्य अस्त होने के बाद घर से बाहर न जाएं। इस बात पर गौर करें तो पहला प्रश्न यह उठता है कि क्या पुरुष पूरे दिन भर घर के बाहर ही घूमते रहते हैं? दूसरा प्रश्न यह है कि सूर्य अस्त होने के बाद महिलाओं को क्या करना है और क्या नहीं यह नहीं बताया गया है? क्या महिलाओं को सूर्य अस्त के बाद घर में खाना बनाना है या नहीं। महिलाओं से कहा गया है कि वह अकेले बाजार न जाएं। इसमें साफ-साफ यह नहीं बताया गया है कि अब बाजार किसके साथ जाएं। क्या वह आपने साथियों, सहेलियों के साथ बाजार जा सकती हैं? इसी तरह का एक और फरमान दिया कि-महिलाएं प्रेम प्रसंग न करें।  इसमें सवाल यह उठता है कि फिर क्या पुरुष को प्रेम प्रसंग करने की छूट दी गई है? पुरुष महिला से प्रेम प्रसंग कर सकता है? मोबाइल की लीड लगाकर गाना न सुनें। देखो कितनी अजीब बात है कि कोई व्यक्ति ध्वनि प्रदूषण होने से पर्यावरण को बचा रहा है तो इसमें भी उन्हें परेशानी है।  उसके खिलाफ ही फरमान जारी कर दिया।
        इसलिए देखो चच्चा..। कई खामियों से भरपूर इस फरमान को अभी से लागू करना ठीक नहीं। वैसे मुझे तो ऐसा लगता है कि ये पंचायतें इस तरह के फरमान जारी कर स्वयं अपनी फजीहत कराते हैं। अरे! कोई फरमान जारी ही करना है तो क्यूं ऐसा फरमान नहीं सुनाते जिससे कि कन्या भ्रूण हत्या, नशाखोरी, भ्रष्टाचार, दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों में कमी आए। फरमान सुनाना चाहिए कि पंचायत का सदस्य वही होगा जिसका एक बेटा फौज में होगा, फरमान होना चाहिए कि हमारे गांव का नेता और अधिकारी का बेटा सिर्फ सरकारी स्कूल में ही पढ़ेगा, तब जाकर कोई बात  बनेगी।
         हम अगर इन पंचायतों के ऐसे आलतू-फालतू फरमानों पर फैसले लेने लगे तो सोचो कोई साइना नेहवाल, ज्वाला गुट्टा, डोला बनर्जी, सुनीता विलियम्स, प्रतिभा पाटिल, कृष्णा पुनिया, मैरीकॉम जैसी लाखों प्रतिभाएं क्या पूरी दुनिया में भारत का झण्डा भविष्य में बुलंद कर सकेंगी। अगर ये भी सूर्य अस्त के बाद घर बैठने लगें तो भारत का क्या हाल होगा सोचो जरा...। क्या किसी के कोई अरमान नहीं होते हैं? महिलाओं के अरमानों पर फरमान सुनाने से देश की तरक्की नहीं होगी। मुझे तो कभी-कभी ऐसा लगता है कि ये पंचायत वाले कहीं सूरज-चांद के आने-जाने का समय ही निर्धारित न कर दें..।

1 comment:

  1. राक्षसी प्रवृति के खिलाफ फरमान जारी होने चाहिए...

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