थोड़ी सी भी समझदार पत्नी मिले तो जरा संभलकर रहना चाहिए। सुबह मैं पार्क
में बैठा यही प्रवचन अपने कुछ साथियों को दे रहा था। एक महाशय ने पूछ लिया
क्यूं तो बात आगे बढ़ गई। मैंने बताया कि 'यार 10 दिन पहले मेरा पत्नी से
सिर्फ इस बात के लिए झगड़ा हो गया था कि मैंने उसे मायके जाने से मना कर
दिया।' सुबह से शाम तक बात ही नहीं की। पिछले 10 दिन तक कोई बात ही नहीं
हुई। फिर कल ही बाजार गई और सब्जी भाजी के साथ एक बेट और बॉल ले आई। पहले
तो मुझे लगा कि मिंकू के लिए बेट-बॉल लाई होगी, लेकिन उसने तो कमाल ही कर
दिया।
मैंने आश्चर्य से पूछा-'यह किसलिए'? तब उसने बताया कि-'यह बेट-बॉल हम दोनों के खेलने के लिए खरीदा है। उसने बताया कि मैंने सुना है कि क्रिकेट खेलने से कटु रिश्ते सुधर जाते हैं।' फिर मैंने प्रश्न किया-'यह तुमने कब सुना?', तब उसने बताया कि-कुछ ही दिन पहले ही तो निर्णय हुआ है कि भारत और पाकिस्तान के बीच पांच साल बाद एक श्रृंखला दिसम्बर महीने में भारत में खेली जाएगी। मुम्बई हमले के पांच साल बाद पाकिस्तान की टीम क्रिकेट टीम भारत खेलने आएगी।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड जब इन दो देशों की कटु दुश्मनी को दोस्ती में बदलने के लिए क्रिकेट मैच करा सकता है तो हमारी बातचीत को तो अभी बंद हुए 10 दिन ही हुए हैं। पहले तो उसकी समझदारी पर मैं अपनी हंसी रोक नहीं सका, फिर मैंने उससे क्रिकेट खेलने से मना किया तो वह चिढ़ गई। पत्नी गुस्से से बोली- मैंने कौन सा मुम्बई हमले से भी बड़ा हमला कर दिया जो आप क्रिकेट खेलने के लिए मना कर रहे हो। उन आतंकवादियों ने 163 निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारा था, और तो और हमारे कुछपुलिस और सेना के जवानों को शहीद कर दिया था, उसके बाद भी तो दोनों देशों के बीच मैच हो रहे हैं हेना...। तुम्हारे दिल में कौन सा देशभक्ति का जुनून सवार हो रहा है, इतना तो हमारे खिलाडिय़ों में भी नहीं है। आतंकवादी हमले के बाद भी देखो ना कैसे क्रिकेट खेलने के लिए तैयार हो गए हैं, एक ने भी मना नहीं किया।
पत्नी का पारा और अधिक बढ़ता गया। कोई कुछ भी कहे, मुझे तो बीसीसीआई का यह निर्णय बहुत पसंद आया। फिर इतिहास पर आते हुए बोली- देखो यदि एक क्रिकेट मैच 1992 के समय हो जाता तो बाबरी विध्वंस का मामला भी शांति के साथ बैठकर सुलझा लेते। अब तो ऐसा लगता है कि अभी भी देर नहीं हुई है, नक्सलियों से भी बात होनी चाहिए। नक्सलियों की नाराजगी दूर करने के लिए, उनसे रिश्ते सुधारने के लिए भी सरकार को एक क्रिकेट मैच का आयोजन करना चाहिए।
कश्मीर का मामला भी कई वर्षों से अटका हुआ है। इस मसले को भी क्रिकेट मैच द्वारा सुलझा लेना चाहिए। कांग्रेस के लिए ममता, शरद पवार, अण्णा हजारे, बाबा रामदेव, अरविंद केजरीवाल कई बार परेशानी खड़ी करते हैं। यहां तक की मोहम्मद अफजल, कसाब भी इतनी दिक्कत नहीं देते जितने ये लोग देते हैं। इसलिए सरकार को एक मैच इनसे भी फिक्स कर लेना चाहिए। इस मैच के बाद हो सकता है कालाधन, टू-जी स्पेक्ट्रम जैसे बड़े-बड़े मामलों को लोग भूल जाएं।
मेरी पत्नी की समझदारी पर मेरे सभी साथी जोर-जोर से ठहाके मारकर हंसने लगे। मैंने कहा ज्यादा नहीं हंसिए, मुझे गुस्सा भी आ सकता है। तभी इतने में एक साथी बोला-'कोई बात नहीं, तुम गुस्सा होगे तो हम तुम्हारे साथ भी एक मैच खेल लेंगे...।'
मैंने आश्चर्य से पूछा-'यह किसलिए'? तब उसने बताया कि-'यह बेट-बॉल हम दोनों के खेलने के लिए खरीदा है। उसने बताया कि मैंने सुना है कि क्रिकेट खेलने से कटु रिश्ते सुधर जाते हैं।' फिर मैंने प्रश्न किया-'यह तुमने कब सुना?', तब उसने बताया कि-कुछ ही दिन पहले ही तो निर्णय हुआ है कि भारत और पाकिस्तान के बीच पांच साल बाद एक श्रृंखला दिसम्बर महीने में भारत में खेली जाएगी। मुम्बई हमले के पांच साल बाद पाकिस्तान की टीम क्रिकेट टीम भारत खेलने आएगी।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड जब इन दो देशों की कटु दुश्मनी को दोस्ती में बदलने के लिए क्रिकेट मैच करा सकता है तो हमारी बातचीत को तो अभी बंद हुए 10 दिन ही हुए हैं। पहले तो उसकी समझदारी पर मैं अपनी हंसी रोक नहीं सका, फिर मैंने उससे क्रिकेट खेलने से मना किया तो वह चिढ़ गई। पत्नी गुस्से से बोली- मैंने कौन सा मुम्बई हमले से भी बड़ा हमला कर दिया जो आप क्रिकेट खेलने के लिए मना कर रहे हो। उन आतंकवादियों ने 163 निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारा था, और तो और हमारे कुछपुलिस और सेना के जवानों को शहीद कर दिया था, उसके बाद भी तो दोनों देशों के बीच मैच हो रहे हैं हेना...। तुम्हारे दिल में कौन सा देशभक्ति का जुनून सवार हो रहा है, इतना तो हमारे खिलाडिय़ों में भी नहीं है। आतंकवादी हमले के बाद भी देखो ना कैसे क्रिकेट खेलने के लिए तैयार हो गए हैं, एक ने भी मना नहीं किया।
पत्नी का पारा और अधिक बढ़ता गया। कोई कुछ भी कहे, मुझे तो बीसीसीआई का यह निर्णय बहुत पसंद आया। फिर इतिहास पर आते हुए बोली- देखो यदि एक क्रिकेट मैच 1992 के समय हो जाता तो बाबरी विध्वंस का मामला भी शांति के साथ बैठकर सुलझा लेते। अब तो ऐसा लगता है कि अभी भी देर नहीं हुई है, नक्सलियों से भी बात होनी चाहिए। नक्सलियों की नाराजगी दूर करने के लिए, उनसे रिश्ते सुधारने के लिए भी सरकार को एक क्रिकेट मैच का आयोजन करना चाहिए।
कश्मीर का मामला भी कई वर्षों से अटका हुआ है। इस मसले को भी क्रिकेट मैच द्वारा सुलझा लेना चाहिए। कांग्रेस के लिए ममता, शरद पवार, अण्णा हजारे, बाबा रामदेव, अरविंद केजरीवाल कई बार परेशानी खड़ी करते हैं। यहां तक की मोहम्मद अफजल, कसाब भी इतनी दिक्कत नहीं देते जितने ये लोग देते हैं। इसलिए सरकार को एक मैच इनसे भी फिक्स कर लेना चाहिए। इस मैच के बाद हो सकता है कालाधन, टू-जी स्पेक्ट्रम जैसे बड़े-बड़े मामलों को लोग भूल जाएं।
मेरी पत्नी की समझदारी पर मेरे सभी साथी जोर-जोर से ठहाके मारकर हंसने लगे। मैंने कहा ज्यादा नहीं हंसिए, मुझे गुस्सा भी आ सकता है। तभी इतने में एक साथी बोला-'कोई बात नहीं, तुम गुस्सा होगे तो हम तुम्हारे साथ भी एक मैच खेल लेंगे...।'
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