Tuesday, July 10, 2012

कमजोर, फिसड्डी नहीं हैं...


        कोई कुछ करे या न करे। लेकिन मैंने अमेरिका का विरोध करने का सोच लिया है। जब देखो तब यह अमरीका वाले अपनी दादागिरी दिखाते रहते हैं। अभी एक पत्र लिखने की सोच रहा हूं, अमेरिका की ''टाइम'' पत्रिका के सम्पादक को। वाकई में मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है। हमारे भोले-भाले प्रधानमंत्री को ही फिसड्डी कह दिया। जिसने भी हमारे प्रधानमंत्री को ''अंडर अचीवर'' लिखा है वह यदि भारत में रहता तो पता चलता। इतनी महंगाई है कि ''अंडर वीयर'' तक खरीदने के लाले पड़ जाते।
        बड़े आए फिसड्डी कहने वाले। भइया जिस देश का प्रधानमंत्री अपनी कुर्सी बचाने के लिए रोजाना विपक्षी दलों से कबड्डी खेल रहा हो, वह फिसड्डी कैसे हो सकता है, बताइए जरा। कमजोर, असफल और शिखण्डी कहना सब फालतू बातें हैं। इटली वाली मैडम के इशारों पर भारत को चलाना कितनी बहादुरी का काम है, इन्हें क्या पता!
          जिस देश की विकास दर 8 प्रतिशत से 5.3 प्रतिशत पर आ गई हो उसका प्रधानमंत्री बने रहना कोई मजाक है क्या!! कोई भी, कुछ भी आरोप लगा रहा है। अमेरिका की सरकार के 15 मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हों तब समझ आता फिसड्डी कौन है और दमदार कौन! सरकार का कोई न कोई मंत्री इस्तीफा दे रहा है। जिसने इतने शानदार राष्ट्र मण्डल खेल  का आयोजन कराया वह मंत्री भी जेल में 2 साल सजा काट कर आया है। संचार क्रांति लाने वाले मंत्री से संतरी तक जेल हो आए, फिर भी सरकार चल रही है। महंगाई भी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। ऐसे में कोई देश चला रहा है तो उसकी तारीफ करने के बजाए बुरा भला कहना मुझे मूर्खों का काम लगता है।
         एक बात और है। वह यह कि हमारे देश में गठबंधन धर्म भी तो निभाना पड़ता है। आए दिन कोई न कोई सहयोगी दल रूठ जाता है। सरकार बचाने के लिए फिर उनको मनाना पड़ता है कितनी ''टेढ़ी खीर'' होता है। इनके राष्ट्रपति को ममता, मुलायम जैसे नेता मिल जाते तो पता चलता। कितना साधकर चलना पड़ता है। राष्ट्रपति पद पर अपना उम्मीदवार जिताने के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ती है कोईसोच सकता है क्या!!
यह ''टाइम'' पत्रिका वाले कुछ तो भी छापते रहते हैं। जो छापने की बात है उसकी ओर तो किसी का ध्यान नहीं है। इसलिए मैंने भी दृढ़ निश्चय कर लिया है पत्रिका के सम्पादक को पत्र लिखकर अपनी भड़ास निकालने का। पत्र लिखकर कहूंगा कि वह अपना पहले दृष्टिकोण बदलें। नकारात्मक की जगह सकारात्मक सोचें । यहां आकर देखो, तब पता लगेगा कि हमारे प्रधानमंत्री कमजोर, फिसड्डी नहीं हैं बल्कि बहुत दमदार हैं। फिसड्डी तो वह हैं जिनका दिमाग ऐसी फिसड्डी बातें करता है।

2 comments:

  1. जिसने भी हमारे प्रधानमंत्री को ''अंडर अचीवर'' लिखा है वह यदि भारत में रहता तो पता चलता। इतनी महंगाई है कि ''अंडर वीयर'' तक खरीदने के लाले पड़ जाते।
    हा हा हा.... हा हा हा .... हा हा हा...
    गुरु नमन तुम्हे.... बहुत ही शानदार

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  2. हमारे प्रधानमंत्री को ''अंडर अचीवर'' लिखा है वह यदि भारत में रहता तो पता चलता। इतनी महंगाई है कि ''अंडर वीयर'' तक खरीदने के लाले पड़ जाते। shbd pryog uchchstriy hai जिस देश का प्रधानमंत्री अपनी कुर्सी बचाने के लिए रोजाना विपक्षी दलों से कबड्डी खेल रहा हो, वह फिसड्डी कैसे हो सकता है, bahut achchha hai

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