किसी को काम न करने पर सजा
मिलती तो समझ आता, लेकिन काम करने पर सजा मिले फिर क्या होगा। भैया इटली
का कानून ही ऐसा है। अभी पिछले दिनों भूकंप की सही जानकारी न देने वाले छह
वैज्ञानिकों को वहां एक अदालत ने छह साल की सजा सुना दी। बेचारे वैज्ञानिक
हैं इसलिए सजा के लिए तैयार हो गए। अगर भारतीय नेता होते तो मामला ही कुछ
और होता।
हां! कानून तो कानून होता है। कोई पालन करता है तो कोई तोड़ता है। तो कोई कानून मंत्री होने की हेकड़ी दिखाता है। भारत में तो कानून मंत्री होने के कई फायदे हैं। कोई कितने भी आरोप लगाए, कितनी भी गलतियां करे, भ्रष्टाचार के कितने भी आरोप लगे, उल्टा शाबाशी ही मिलती है।
थोड़ी देर के लिए सोचा जाए कि यदि इटली के वैज्ञानिकों में थोड़े बहुत भी भारतीय नेताओं के कुछ 'नेतीय गुण' होते तो वे बड़े आराम से बच निकलते। वैज्ञानिक नेताओं की मधुर वाणी में बोलते कि 'देखिए हमने तो सही भविष्णवाणी की थी लेकिन इसमें भूकंप ने राह बदल दी तो इसमें हमारी क्या गलती है। गलती इसमें भूकंप की है। इसमें हम दोषी नहीं हो सकते हैं।
वैज्ञानिक कहते कि हमारे देश से अच्छा तो भारत है, जहां नेताओं को गलती करने पर प्रमोशन मिलता है और काम करने पर 'मोटा' कमीशन। एकाध एनजीओ खोल लेते तो कई विकलांगों का भला कर देते। विकलांगों की दुआएं मिलतीं और विदेश मंत्री भी बन जाते। हमारी किस्मत फूट गई इटली में रहकर। भारत में हमारी इटली वाली मैडम भी हमें गलती करने पर भी पर बचा लेतीं। उन्होंने कई लोगों को भी बचाया है। अपने दामाद को भी बचाने के लिए उन्होंने पूरी ताकत लगा दी। हम भी तो उनके लिए कुछ महत्वपूर्ण होते ही।
अपने 'नेतीय गुण' के कारण वैज्ञानिक सजा सुनाने वाले न्यायाधीश और अपोजिशन के वकील को अपने इलाके में आने पर देख लेने की धमकी भी दे देते।
कुछ वैज्ञानिक तो अपने कुछ विशेष नेताओं के जैसे विवादित बयान भी देते। वैज्ञानिक सजा सुनने के बाद पत्रकारों से कहते कि चूंकि न्यायाधीश का संबंध विपक्षी पार्टी है इसलिए हमें सजा सुनाई गई। वरना इसमें हमारी कोई भी गलती नहीं थी। न्यायाधीशों ने विपक्षी पाटिर्यों के कहने पर हमें सजा सुनाई है।
अगर भारतीय नेताओं की तरह इटली के वैज्ञानिकों में 'नेतीय गुण' होते तो सच मानिए एक भी वैज्ञानिक न तो सजा होती और न ही यह पता चलता कि वहां कभी कोई भूकंप आया था। अगर किसी को पता भी चल जाता कि भूकंप आया है तो मरने वालों का आंकड़ा कभी भी पता नहीं चल पाता। हमारे भारतीय नेताओं के 'नेतीय गुण' का विशेष महत्व है। यह अब पूरी दुनिया को समझ लेना चाहिए।
हां! कानून तो कानून होता है। कोई पालन करता है तो कोई तोड़ता है। तो कोई कानून मंत्री होने की हेकड़ी दिखाता है। भारत में तो कानून मंत्री होने के कई फायदे हैं। कोई कितने भी आरोप लगाए, कितनी भी गलतियां करे, भ्रष्टाचार के कितने भी आरोप लगे, उल्टा शाबाशी ही मिलती है।
थोड़ी देर के लिए सोचा जाए कि यदि इटली के वैज्ञानिकों में थोड़े बहुत भी भारतीय नेताओं के कुछ 'नेतीय गुण' होते तो वे बड़े आराम से बच निकलते। वैज्ञानिक नेताओं की मधुर वाणी में बोलते कि 'देखिए हमने तो सही भविष्णवाणी की थी लेकिन इसमें भूकंप ने राह बदल दी तो इसमें हमारी क्या गलती है। गलती इसमें भूकंप की है। इसमें हम दोषी नहीं हो सकते हैं।
वैज्ञानिक कहते कि हमारे देश से अच्छा तो भारत है, जहां नेताओं को गलती करने पर प्रमोशन मिलता है और काम करने पर 'मोटा' कमीशन। एकाध एनजीओ खोल लेते तो कई विकलांगों का भला कर देते। विकलांगों की दुआएं मिलतीं और विदेश मंत्री भी बन जाते। हमारी किस्मत फूट गई इटली में रहकर। भारत में हमारी इटली वाली मैडम भी हमें गलती करने पर भी पर बचा लेतीं। उन्होंने कई लोगों को भी बचाया है। अपने दामाद को भी बचाने के लिए उन्होंने पूरी ताकत लगा दी। हम भी तो उनके लिए कुछ महत्वपूर्ण होते ही।
अपने 'नेतीय गुण' के कारण वैज्ञानिक सजा सुनाने वाले न्यायाधीश और अपोजिशन के वकील को अपने इलाके में आने पर देख लेने की धमकी भी दे देते।
कुछ वैज्ञानिक तो अपने कुछ विशेष नेताओं के जैसे विवादित बयान भी देते। वैज्ञानिक सजा सुनने के बाद पत्रकारों से कहते कि चूंकि न्यायाधीश का संबंध विपक्षी पार्टी है इसलिए हमें सजा सुनाई गई। वरना इसमें हमारी कोई भी गलती नहीं थी। न्यायाधीशों ने विपक्षी पाटिर्यों के कहने पर हमें सजा सुनाई है।
अगर भारतीय नेताओं की तरह इटली के वैज्ञानिकों में 'नेतीय गुण' होते तो सच मानिए एक भी वैज्ञानिक न तो सजा होती और न ही यह पता चलता कि वहां कभी कोई भूकंप आया था। अगर किसी को पता भी चल जाता कि भूकंप आया है तो मरने वालों का आंकड़ा कभी भी पता नहीं चल पाता। हमारे भारतीय नेताओं के 'नेतीय गुण' का विशेष महत्व है। यह अब पूरी दुनिया को समझ लेना चाहिए।