Tuesday, October 23, 2012

तरक्की के लिए जरुरी है 'टॉयलेटीकरण'


          हम लोग अपने दीपू की शादी को लेकर बड़े चिंतित थे। कोई न कोई समस्या के कारण विवाह में दिक्कत हो जाती थी। वह तो भला हो अपने पंडित रामदीन जी का जिन्होंने ऐसा उपाय बताया कि चट मंगनी, पट विवाह का कार्यक्रम बन गया। रामदीन जी हमारे गांव के अच्छे ज्योतिष हैं, इसलिए आज हम अपनी श्रीमती जी के साथ उनके कुटिया में पहुंच गए थे। हमारे दीपू की कुंडली को पूरे 19 मिनट तक देखा। कुंडली देखने के बाद आचश्र्यजनक मुद्रा बनाते हुए बोले-'अरे यार! दीपू की कुंडली के हिसाब से तो इसका विवाह साल भर पहले जो जाना चाहिए था। ग्रहों की चाल भी ठीक है। अब समस्या समझ नहीं आ रही है कि आखिर शादी में इतना विलंब क्यों हो रहा है?'
             इसके बाद वे काफी देर तक ध्यान लगाने की मुद्रा में बैठे रहे। फिर अचनाक उन्होंने ऐसा सवाल किया जिसका ज्योतिष से कोई संबंध तो था नहीं लेकिन हमारे दीपू की शादी से जरूर था।
रामदीन जी ने हमसे पूछा- 'क्या तुम्हारे घर में टॉयलेट है?'
           सवाल काफी विचित्र था लेकिन हमारे प्रतिप्रश्न से बात स्पष्ट हो गई। हमारी श्रीमती जी ने पल्लू को दांतों में दबाते हुए पूछा 'पंडित जी टॉयलेट का हमारे दीपू की शादी से क्या संबंध है? हमारे घर में टॉयलेट नहीं है क्या इसलिए ही हमारे दीपू का संबंध नहीं हो पा रहा है?'
जी भाभी जी..रामदीन जी बोले। आपने हमारे देश के केन्द्रीय ग्रामीण एवं विकास मंत्री जयराम रमेश जी का बयान नहीं पढ़ा क्या?
             मंत्री जी ने बयान दिया है कि-'नो टॉयलेट, नो ब्राइड' अर्थात् जिस घर में टॉयलेट नहीं हो वहां लड़कियों को शादी नहीं करना चाहिए।' लो टॉयलेट का महत्व आपको पता नहीं है। भईया घूरे के भी दिन फिरते हैं। आज टॉयलेट के फिर रहे हैं। मुझे तो लगता जिस प्रकार टॉयलेट को महत्व दिया जा रहा है उससे तो आने वाले समय में स्थितियां और विचित्र होने वाली हैं। चुनाव आयोग ने कहीं यह फरमान जारी कर दिया कि जिस नेता का टॉयलेट चुनाव चिन्ह् हो जनता उसी को वोट दे तो क्या होगा? कई नेता रोजाना चुनाव आयोग के दफ्तर के चक्कर लगाते हुए नजर आएंगे। विद्यालयों में टी फॉर टी नहीं फिर टॉयलेट ही पढ़ाया जाएगा। बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाने से पहले कक्षाओं से पहले माता-पिता द्वारा टॉयलेट देखना उनकी प्राथमिका में होगा। निजी स्कूलों और कॉलेजों के विज्ञापनों में एयर कंडीशन क्लास रूम की जगह एयर कंडीशन 'टॉयलेट' लिखा हुआ मिलेगा।
          काफी देर तक चर्चा होती रही। चर्चा इस बात पर भी हुई की यह वही मंत्री हैं जिनके मुखिया योजना आयोग के अध्यक्ष हैं। ऐसा आयोग जो ग्रामीण इलाकों में टॉयलेट बनाने की जगह टॉयलेट घोटाला करता है। योजना आयोग ने अपने मुख्यालय योजना भवन में टॉयलेट बनाने के लिए 35 लाख रुपए खर्च कर दिए। इन टॉयलेट का इस्तेमाल करने के लिए 60 अफसरों को स्मार्ट कार्ड जारी भी किए गए हैं। इसलिए मेरी मानिए तो अपने घर में एक सुंदर सा टॉयलेट बनवा दीजिए, फिर देखना दीपू के लिए कितने रिश्ते आएंगे।
          रामदीन जी की भविष्यवाणी एकदम सही साबित हुई। जिस दिन टॉयलेट बनकर तैयार हुआ, उसी दिन शाम को हमारे दीपू का रिश्ता तय हो गया।  आज हम बहुत खुश हैं। जिस प्रकार हमारे परिवार में टॉयलेट के बनने से प्रगति हुई है उसको देखकर तो हम भी यही कहेंगे कि देश की तरक्की के लिए भी 'टॉयलेटीकरण' बहुत जरुरी है।

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