आज रामदीन जी के चेहरे पर इस्माइल देखकर हमारे चेहरे पर भी इस्माइल आ गई। पूछने पर बोले-'भाई साहब एक चुनावी सभा से आ रहा हूं। हम तो फिदा हो गए नेताजी के भाषण सुनकर। बेचारे बड़े ही भोले हैं। आजकल जहां परमाणु बम, ड्रोन हमले और आधुनिक हथियारों की बात होती हो, ऐसे में यदि कोई नेता बंदूक की बात करे तो यह उनका भोलापन ही होगा।'
'नेताजी कह रहे थे कि यदि उनकी सरकार बनी तो बंदूक के लायसेंस की प्रक्रिया को सरल किया जाएगा। बंदूक ही हमारी शान है। यह बयान ही उनकी आत्मीयता को प्रकट करता है। उनको हमारे युवाओं की इतना चिंता है कि वह उन्हें बंदूकों का कारोबार कराना चाहते हैं।'
नेता और आत्मीयता! सुनते ही पहले तो हंसी आई फिर बाद में मैंने कहा-'रामदीन जी, प्रदेश की जनता को सरकार बनते ही शस्त्र लायसेंस रेबड़ी की तरह बांटने की योजना बनाते नेताजी अगर अन्य मुद्दों पर 'बोल बच्चन' करते तो बेहतर होता। यदि यह कहा जाता कि हम सरकार बनाते ही प्रदेश में हर साल कुपोषण की वजह से होने वाली लगभग ३५ हजार बच्चों की मौत का आंकड़ा कम करने का प्रयास करेंगे तो कितना अच्छा होता। यदि यह कहा जाता कि सरकार बनते ही प्रदेश के लगभग ३९ लाख बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलाया जाएगा तो क्या चुनाव जीतना मुश्किल होता?'
क्या जमाना आ गया है जिन युवाओं के कंधों पर नेताजी को परिवारिक की जिम्मेदारियों का बोझ डालना चाहिए वह उन कंधों पर बंदूकों का बोझ डालने की बात कर रहे हैं!
हां! रामदीन जी...। वैसे भी जनता का सरकारों पर विश्वास ही कहां रहा है। आज बंदूक दिलाने की बात कर रहे हैं, फिर गोलियों की संख्या सीमित कर देंगे, बिल्कुल एक साल में मिलने वाले सब्सिडी के छह सिलेण्डरों की तरह!
आखिर रामदीन जी भी कब तक चुप बैठते। बोले-'अरे भाई साहब! आपको तो कुर्तक करने की आदत है। नेताजी ने सभी समस्याओं का समाधान निकालने के लिए ही तो बंदूक की बात कही है। बंदूक होगी तो कोई भी अपनी रोजी-रोटी की जुगाड़ कर लेगा, और सिलेण्डर की भी। हॉकर को धमकाओ तो सिलण्डेर मिल जाएगा और अफसरों को धमकाओ तो नौकरी। वाह भाई वाह! आप भले ही कुछ भी कहें, लेकिन हम तो नेताजी के फेन हो गए हैं!'
नेता और आत्मीयता! सुनते ही पहले तो हंसी आई फिर बाद में मैंने कहा-'रामदीन जी, प्रदेश की जनता को सरकार बनते ही शस्त्र लायसेंस रेबड़ी की तरह बांटने की योजना बनाते नेताजी अगर अन्य मुद्दों पर 'बोल बच्चन' करते तो बेहतर होता। यदि यह कहा जाता कि हम सरकार बनाते ही प्रदेश में हर साल कुपोषण की वजह से होने वाली लगभग ३५ हजार बच्चों की मौत का आंकड़ा कम करने का प्रयास करेंगे तो कितना अच्छा होता। यदि यह कहा जाता कि सरकार बनते ही प्रदेश के लगभग ३९ लाख बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलाया जाएगा तो क्या चुनाव जीतना मुश्किल होता?'
क्या जमाना आ गया है जिन युवाओं के कंधों पर नेताजी को परिवारिक की जिम्मेदारियों का बोझ डालना चाहिए वह उन कंधों पर बंदूकों का बोझ डालने की बात कर रहे हैं!
हां! रामदीन जी...। वैसे भी जनता का सरकारों पर विश्वास ही कहां रहा है। आज बंदूक दिलाने की बात कर रहे हैं, फिर गोलियों की संख्या सीमित कर देंगे, बिल्कुल एक साल में मिलने वाले सब्सिडी के छह सिलेण्डरों की तरह!
आखिर रामदीन जी भी कब तक चुप बैठते। बोले-'अरे भाई साहब! आपको तो कुर्तक करने की आदत है। नेताजी ने सभी समस्याओं का समाधान निकालने के लिए ही तो बंदूक की बात कही है। बंदूक होगी तो कोई भी अपनी रोजी-रोटी की जुगाड़ कर लेगा, और सिलेण्डर की भी। हॉकर को धमकाओ तो सिलण्डेर मिल जाएगा और अफसरों को धमकाओ तो नौकरी। वाह भाई वाह! आप भले ही कुछ भी कहें, लेकिन हम तो नेताजी के फेन हो गए हैं!'
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