Thursday, October 11, 2012

हमारे पास भी बहुत बुद्धिमान हैं श्रीमान्


     

   बुद्धिमान केवल क्या विदेश में ही बसते हैं? हमारे यहां कोई बुद्धिमान नहीं है क्या? तो फिर बुद्धिमत्ता परीक्षा (इंटीलिजेंस टेस्ट) में भारत को निमंत्रण क्यों नहीं दिया गया? अगर बुद्धिमत्ता परीक्षा में हम भारतीय को बुलाया जाता तो हमारे पास तो इतने बुद्धिमान हैं कि वह अच्छे-अच्छों की छुट्टी कर देते। ये तो गलत बात हुई न, अकेले-अकेले प्रतियोगिता कर ली और मैडल भी खुद ही जीत लिया। 
          ब्रिटेन की एक बारह वर्षीय छात्रा ओलिविया मैनिंग ने बुद्धिमत्ता परीक्षा में 162 अंक पाकर अल्बर्ट आइंस्टीन और स्टीफन हॉकिंग को भी पीछे छोड़ दिया है, ये भी कोई खबर हुई क्या? खबर तो तब बेहतरीन होती जब हम भारतीयों को इस प्रतियोगिता में शामिल किया जाता।
         अगर इस प्रतियोगिता के लिए भारतीयों को बुलाया जाता तो हमारे पास कौन-कौन से प्रतिभागी हो सकते थे इस पर मैंने काफी मंथन किया। पूरे देश को मानसिक दृष्टि से खंगलाने के बाद कुछ लोग मेरे दिमाग में आए हैं। भारत की ओर से इस प्रतियोगिता के लिए सबसे अच्छा कोई प्रतियोगी हो सकता था तो वह कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा हो सकते थे। यह वाड्रा के दिमाग का ही कमाल तो है कि उन्होंने 3 साल 300 करोड़ की सम्पत्ति जुटा ली। वरना आजकल तो इतनी महंगाई है कि 300 करोड़ की सम्पत्ति 3 साल में खत्म हो जाए। उनकी बुद्धिमत्ता तो तभी साबित हो चुकी थी जब उन्होंने अपनी सास के रूप में श्रीमती सोनिया गांधी को स्वीकार किया था। 
        बुद्धिमत्ता परीक्षा में भारत की ओर से दूसरे प्रतियोगी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी हो सकते थे। अपने अखिलेश जी को देखिए न पिताजी की आज्ञा का पालन करते हुए मुख्यमंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद संभाला हुआ है। इनकी बुद्धिमत्ता का मैं तो उसी वक्त कायल हो गया था जब उन्होंने एक साथ 50 मंत्रालय की जिम्मेदारी को स्वीकार किया था। जो व्यक्ति एक साथ 50 मंत्रालयों का काम-काज संभाल सकता है उसमें कितना दिमाग होगा आसानी से समझा जा सकता है। 
         सुरेश कलमाड़ी, ए.राजा, कनिमोझी, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा, ये लोग भी कम बुद्धिमान नहीं है। बड़े-बड़े घोटाले कर फिर से राजनीति करना, कोई दिमाग वाला व्यक्ति ही कर सकता है। मुलायम सिंह, ममता बनर्जी, मायावती, शरद पवार जैसे राजनेताओं को भी इस प्रतियोगिता में भेजा जा सकता था। जोड़-तोड़ की राजनीति का अनुभव जितना इन राजनेताओं को है उससे निश्चिततौर पर हम 162 अंक से तो नीचे आते ही नहीं। कोई न कोई जोड़-तोड़ कर यह नेता कुछ न कुछ जीतकर तो आते ही। अगर हम भारतीयों को इस बुद्धिमत्ता परीक्षा में शामिल किया जाता तो 12 वर्षीय छोकरी ओलिविया को मात तो दे ही देते, क्योंकि हमारे पास एक से एक बुद्धिमान हैं। 

No comments:

Post a Comment