चालीस वर्ष की आयु में पहली बार आज जब रामदीन जी थाने पहुंचे तो बेचारे काफी परेशान हो गए। मामला भी काफी गंभीर था। उनका सिलेण्डर चोरी हो गया था। चूंकि एक से भले दो होते हैं इसलिए मैं भी उनके साथ गया था।
हमारी हवा तो उसी वक्त निकल गई थी जब दो सिपाहियों ने सवाल किया कि 'यहां क्यों आए हो?'
हालांकि सवाल छोटा था लेकिन बड़ा खतरनाक था।
रामदीन-'हमें चोरी की रिपोर्ट लिखवानी है, कहां जाना पड़ेगा? ' उन सिपाहियों ने हमें इशारे से बताते हुए उचित स्थान पर भेज दिया। इसके बाद फिर शुरू हुआ सवाल जवाबों का सिलसिला।
पहला सवाल थानेदार की ओर से कड़क आवाज में आया।
'क्या हो गया?'
रामदीन- 'चोरी हो गई'। अगला सवाल।
'कैसे हो गई'।
रामदीन-'साहब! आप तो जानते हैं आज दीपावली का त्यौहार है। सो पूरा परिवार घर के बाहर फाटाखे जला रहा था। हम भूल गए कि घर का दरवाजा खुला हुआ है। इतने में पता नहीं कौन मुआ चोर घर में घुस गया और चोरी हो गई।'
अब महत्वपूर्ण सवाल आना प्रारंभ हुए।
थानेदार-'अच्छा, ये बताओ क्या-क्या सामान चोरी गया है?'
रामदीन- 'सर! हमारी एक ही चीज चोरी हुई है और वह है हमारा सिलेण्डर।'
अगला सवाल पहले वाले सवाल से भी ज्यादा महत्वपूर्ण था।
थानेदार-'सिलेण्डर कितने नम्बर का था?'
सवाल सुनते ही रामदीन जी की सिट्टी-बिट्टी गुम हो गई। लेकिन हमने जैसा कि पहले ही कहा था कि एक से भले दो होते हैं इसलिए मैंने रामदीन जी को संभालते हुए उनसे ही पूछा अरे! भाई सिलेण्डर कौन से नम्बर है मतलब यह कि छटवें से नीचे है या ऊपर। रामदीन जी तो पहली बार रिपोर्ट लिखवाने आए थे इसलिए उन्हें नहीं पता था कि चोरी की रिपोर्ट में हमेशा ज्यादा माल लिखवाया जाता है क्योंकि ज्यादा बड़ी चोरी में ही पुलिस ज्यादा सक्रिय दिखाई देती है। मैंने थानेदार को बताया कि साहब! चोरी गए सिलेण्डर के बारे में हमें ज्यादा जानकारी तो नहीं है लेकिन हां! इतना जरूर पता है कि चोरी गया सिलेण्डर छठवें से ऊपर का था। मतलब, सातवां या आठवां हो सकता है। मैंने रामदीन जी को धीरे से समझाया कि सरकार ने पहले छह सिलेण्डर पर सब्सिडी दी है जबकि सातवां सिलेण्डर 500 रुपए महंगा है। इसलिए सातवां ही लिखवाओ।
थानेदार-'तुम्हारे पास 'पासबुक' है', जिससे पता चल सके कि सिलेण्डर कौन से नम्बर का था। रामदीन जी ने सर हिलाकर मना किया तो उन्होंने हमें टरकाते हुए कहा-'जाइये' हमारा टाईम खराब मत कीजिए। पहले घर से 'पासबुक' ले आओ फिर आपकी रिपोर्ट लिखेंगे। खुद तो दीपावली पर धूमधाम से फटाखे फोड़ रहे हो, हमारे बच्चों की ओर ध्यान कौन देगा।'
मैं थानेदार का इशारा समझ गया। थानेदार हमसे रिश्वत मांग रहा था। मैंने जब उनकी बात रामदीन जी को बताई तो वह गुस्सा हो गए। गुस्से में बोले-'साहब! आपको रिपोर्ट लिखना हो तो लिखिए हम आपको रिश्वत नहीं दे सकते। 'मैं आम आदमी हूं।' भ्रष्टाचार के खिलाफ चलने वाले आंदोलन का एक सिपाही हूं।'
थानेदार चुटकी लेते हुए बोला-'मैं मानता हूं कि तुम आम आदमी हो, लेकिन आम आदमी की आजकल सुनता कौन है। अरविंद केजरीवाल खुद अण्णा हजारे की नहीं सुन रहे हैं तो तुम किस खेत की मूली हो। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते-लड़ते टीम अण्णा भी तो भारतीय क्रिकेट टीम की तरह गुटबाजी का शिकार हो गई है। इसलिए तुम्हें गुट में रहकर घुट-घुटकर जीना ही पसंद है तो इसमें हम कुछ नहीं कर सकते हैं। जहां तक सिलेण्डर की चोरी होने पर रिपोर्ट लिखवाने की बात है तो जब तक आप 'पासबुक' नहीं लाएंगे, हम आपकी रिपोर्ट नहीं लिख पाएंगे।'
थानेदार-'आप शायद जानते नहीं कि इस यूपीए सरकार के कार्यकाल में जितनी तेजी से रसोई गैस केदाम बढ़े हैं, उतनी ही तेजी से सिलेण्डर चोरी के मामले बढ़ रहे हैं। हमारे पास रोज कोई न कोई व्यक्ति सिलेण्डर चोरी की रिपोर्ट लिखवाने चला आता है। हमने तो अलग से एक तीन सदस्यीय जांच समिति भी बना दी है। कल ही हमने दो लड़कों को सिलेण्डर चोरी की योजना बनाते हुए पकड़ा है।'
हम बिना रिपोर्ट लिखाए लौट ही रहे थे कि थानेदार ने हमें तसल्ली भरे शब्दों में कहा-'देखो रामदीन, तुम शक्ल और अक्ल से भोले लगते हो इसलिए कह रहा हूं कि आजकल जब घोटाले पर घोटाले, दिन प्रतिदिन बढ़ती महंगाई, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण लोगों का जीना मुहाल हो रहा है तब भी तुम्हारे घर का चूल्हा जल रहा है तो मुझे यह बात बड़ी लगती है। वैसे तो इस सरकार ने कई घरों के चूल्हे बुझा दिए हैं लेकिन मैं तुम्हे आश्वासन देता हूं कि तुम्हारे सिलेण्डर को ढूंढने का प्रयास करूंगा।'
थानेदार की इस तसल्ली भरी बात पर हम लोग खाली हाथ घर लौट आए। फिर खुशी से फटाखे जलाने लगे।
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