वैज्ञानिक झूठे होते हैं। यह मैंने कई बार शोध करके देख लिया है। चाहे वह लंदन के हों या फिर भारत के। अभी लंदन के वैज्ञानिकों ने यह शोध कर पता लगाया है कि 'प्यार में व्यक्ति की बुद्धि मर जाती है।' उन्होंने कई प्रेमी व्यक्तियों पर शोध कर इस बात को साबित किया। जहां तक मुझे शंका हो रही है, वह यह कि लंदन के वैज्ञानिक कोई प्रेमी व्यक्तियों से नहीं मिले होंगे। बल्कि उनकी मुलाकात निश्चित रूप से हमारे नेताओं से हुई होगी। नेताओं पर अपना शोध करने के बाद उन्होंने इसे हीर रांझा, लैला मजनू व सलीम अनारकली वाला प्रेम कह दिया।
वैज्ञानिकों ने अपने शोध में जितनी भी बातें बताई हैं वह सारी बातें हमारे नेताओं के व्यवहार से बिल्कुल मिलती-जुलती हैं। मैं वैज्ञानिकों की एक-एक बात को नेताओं से जोड़कर यह साबित कर सकता हूं कि वे किसी भी प्रेमी से नहीं मिले होंगे। अपने शोध में वैज्ञानिकों ने बताया है कि प्यार करने वाले व्यक्ति के दिमाग में 'द अमाइग्डाला' नामक हिस्सा काम करना बंद कर देता है। यह वह हिस्सा होता है जिसमें व्यक्ति को डर नहीं लगता है। यह तो हमारे नेताओं के साथ भी होता है। सत्ता में आते ही हमारे नेताओं में भी 'द अमाइग्डाला' नामक हिस्सा काम करना बंद कर देता है। अभी पिछले दिनों ही एक नेता ने सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपने शहर आने पर 'देख लेने की धमकी दी थी।'
वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि प्यार करने वाले व्यक्ति में 'फ्रंटल लोब' हिस्सा भी काम करना बंद कर देता है। यह वह हिस्सा होता है जिसमें निर्णय लेने की क्षमता बंद हो जाती है। यह गुण भी हमारे नेताओं में होता है। पूरा देश जानता है कि हमारे प्रधानमंत्री भी इसी बीमार के शिकार हैं। कोई निर्णय ही नहीं ले पाते हैं। जो निर्णय मैडम ने लिया, बस वही अंतिम समझो।
वैज्ञानिक कहते हैं कि प्यार करने वाले व्यक्ति का 'पोस्टेरियर सिंग्यूलेट' यानि की सहानुभूति नियंत्रक हिस्सा भी काम करना बंद कर देता है। यह भी हमारे नेताओं के साथ होता है। सत्ता में आते ही सहानुभूति तो खत्म हो ही जाती है। अपनी नीतियों के कारण गरीब को जितना कष्ट दिया जा सकता है उतना देने की कोशिश की जाती है। शोध में बताया गया कि प्यार करने वाले व्यक्ति में 'मिड टेम्पोरेल कोर्टेक्स' हिस्सा भी काम करना बंद कर देता है। इस हिस्से के काम बंद करने के कारण व्यक्ति महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने में अक्षम हो जाता है। यह बात भी हमारे सामने कई बार सामने आती है।
कुल मिलाकर वैज्ञानिक थोड़ा सच बोल देते तो इनका क्या जाता। व्यक्ति को कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। और यह तो फिर भी वैज्ञानिक थे। हमारे नेताओं पर किए गए शोध का हम बुरा थोड़ा ही मानते। प्रेम तो आखिर प्रेम होता है। फिर वह चाहे कुर्सी से ही क्यों न हो। कुर्सी प्रेम के कारण नेताओं की दिमागी स्थिति पर खूब शोध किया वैज्ञानिकों ने। इसके लिए तो वे बधाई के पात्र हैं।
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