व्यंग्य/झुनझना
सुमित 'सुजान'
सेंसर बोर्ड हाय-हाय! सेंसर बोर्ड हाय-हाय! सेंसर बोर्ड की मनमानी नहीं चलेगी-नहीं चलेगी! मेरे कानों में तो ये नारे अभी से ही गंूजने लगे हैं। जबसे सेंसर बोर्ड ने 'आयटम गानों' पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है तबसे पता नहीं क्या हो गया है। मुझे तो मुन्नी, शीला, शन्नो, राखी, बानो, बिजली जैसे बेचारी अदाकाराओं की चिंता होने लगी है। कल ही मुन्नी से मुलाकात हुई थी तो बेचारी बड़ी दु:खी थी। मुन्नी बता रही थी कि हम लोग कितनी मेहनत से तो 'आयटम गानों' की तैयारी करते हैं, उस पर सेंसर बोर्ड वाले अडंगा लगात देते हैं। मुन्नी ने बताया कि उनकी कुछ साथियों ने मिलकर 'ए.जी.ए.' (आयटम गल्र्स ऑर्गनाइजेशन) का गठन कर लिया है। बस कुछ दिनों बाद आंदोलन शुरू हो जाएंगे। मेरे द्वारा ए.जी.ए. के गठन का सवाल पूछते ही वह तपाक से बोली जब अण्णा हजारे, स्वामी रामदेव और अरविंद केजरीवाल जैसे लोग अपने-अपने संगठन बना सकते हैं तो हम क्यों नहीं बना सकते? बातचीत को आगे बढ़ाते हुए मुन्नी बोली कि हमारा आंदोलन सेंसर बोर्ड को झुकाए बिना रुकेगा नहीं। अण्णा हजारे के भूखे रहने से भले ही 'जनलोकपाल बिल' न आया हो लेकिन जब हम लोग ठुमके लगाना बंद कर देंगे तो देश में भूचाल आ जाएगा। बॉलीवुड में सन्नाटा पसर जाएगा। लोग फिल्में देखना ही बंद कर देंगे। हमने तो पर्चे भी छपवा लिए हैं। आपको क्या मालूम फिल्मों में होने वाले 'आयटम गानों' के कितने फायदे हैं। हमारी वजह से बॉलीवुड करोड़ो रुपए कमा रहा है। फिल्में सुपर-डुपर हिट हो जाती हैं। पहले लोगों को हमारे ठुमके और अदाओं को देखने के लिए दूर-दूर तक जाना पड़ता था लेकिन आजकल तो हम सीधे घरों तक पहुंच जाते हैं। हमारे ठुमकों के साथ-साथ कंपनियां अपने उत्पादों की मार्केटिंग भी आसानी से कर सकती हैं। आपने देखा नहीं क्या हमने तो 'झण्डु बाम', 'फेवीकॉल', 'चिलम' और 'बीड़ी' जैसे उत्पादों का प्रचार भी बड़ी चतुराई से किया है। देखो ना कितनी नाइंसाफी है इतने फायदे होने के बाद भी हमारी भावनाओं को कुचला जा रहा है। हम ऐसा नहीं होने देंगे। सेंसर बोर्ड हाय-हाय!
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