सबका सुमित
Tuesday, March 4, 2014
अजीब बात
कितनी अजीब बात है-मैं समाज के लिए जीना चाहता हूं लेकिन समाज मुझे जीने नहीं देता।
सुमित 'सुजान', ग्वालियर
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