Tuesday, March 13, 2012

मेरी दुर्दशा की भी तो जिम्मेदारी लो.....

क्यों भाई आम आदमी! क्यों दु:खी हो? घर नहीं जाओगे क्या? या यूं ही रास्ते पर पड़े रहोगे।
अब घर जाकर क्या करेंगे साहब!! अब कोई बचा ही नहीं जो हमारी दुर्दशा की जिम्मेदारी ले।
क्या मतलब है तुम्हारा?
अरे साहब मतलब पूछ रहे हो! पहले तो हम सोचते थे कि हमारी दुर्दशा को ठीक करने के लिए सभी बड़े चिंतित हो रहे हैं। कोई हमें आरक्षण दिलाने के लिए अड़ा था तो कोई लैपटॉप देने के लिए। लेकिन अब देखो न चुनाव निपट गए हैं तो हमें खाने को रोटी नहीं है, पहनने को सिर्फ एक धोती है और बनियान है। कोई काम-धंधा नहीं है। पूरा जीवन गरीबी में कटा जा रहा है। चुनाव चल रहे थे तब हम नेताओं के माईबाप थे। चुनाव निपटने के बाद सबके-सब मुझसे अलग हो गए।
ठीक-ठीक बताओ तुम कहना क्या चाहते हो आम आदमी?
चलिए आप ज्यादा जोर देकर पूछ रहे हैं तो बता देता हूं।
उत्तर प्रदेश में अभी विधानसभा चुनाव हुए। चुनाव में समाजवादी पार्टी जीत गई। बाकी सभी पार्टियां हार गईं। जब चुनाव हो रहे थे तब जो भी नेता हमारे घर पर आया, हमारी गरीबी को हमसे दूर करने की बात करता रहा। लेकिन चुनाव होने के बाद हम इतने दूर हो गए कि हमें याद भी नहीं किया जा रहा है। सभी बता रहे थे कि मतदान करना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी वाला काम है। जो  देश का जिम्मेदार व्यक्ति होता है वह मतदान जरूर करता है। जिम्मेदार व्यक्ति ही देश की राजनीति  में बदलाव ला सकता है। जिम्मेदार व्यक्ति ही महंगाई का विरोध करता है, काला धन वापस लाने की मांग करता है, भ्रष्टाचार के खिलाफ आगे आता है। देश का जिम्मेदार व्यक्ति वही होता है जो अपने परिवार को नहीं बल्कि अपने देश को देखता है। इसलिए देश में स्वच्छ राजनीति चाहते हो तो जिम्मेदारी से मतदान करो। इतना बड़ा पाठ पढ़ाया था हमें नेताओं ने।
मैंने जब उनसे पूछा कि मुझे क्या मिलेगा तो कहने लगे कि तुम हमें वोट करो, हम तुम्हारी जिम्मेदारी लेंगे। मतदान से पहले सभी ने मेरे उत्थान की जिम्मेदारी ली। लेकिन चुनाव निपटने के बाद सब भूल गए।
उत्तर प्रदेश और पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव के बाद मैं (आम आदमी)बड़ा दु:खी हूं। कांग्रेस को मिली हार के लिए कांग्रेस के युवराज कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में हार की जिम्मेदारी मेरी है, कांग्रेस नेत्री रीता बहुगुणा जोशी कह रही हैं कि हार की जिम्मेदारी मेरी है। देश के सबसे समझदार व्यक्ति दिग्विजय सिंह कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में हार के लिए मैं गुनहगार हूं।
प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती कह रही हैं कि उनकी हार के लिए भाजपा और कांग्रेस जिम्मेदार हैं। भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती कह रही हैं कि प्रदेश में भाजपा की हार की जिम्मेदारी मेरी है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही जो खुद इस चुनाव में हार गए, वह कह रहे हैं कि हार की जिम्मेदारी मेरी है। इसी प्रकार पंजाब में मिली हार के बाद कांग्रेस के नेता कै. अमरिंदर सिंह कह रहे हैं कि हार की जिम्मेदारी मेरी है।
अब देखो न बाबू, सभी नेता चुनाव में हुई पार्टी की दुर्दशा को देखते ही कैसे जिम्मेदारी लेने आ गए!! काश! ये राजनेता देश में बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार, आतंकवाद को न रोक पाना, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवा की बिगड़ती स्थिति के लिए भी ऐसे ही जिम्मेदारी लेने की हिम्मत जुटाते तो कितना अच्छा होता। लेकिन कितनी बुरी बात है कि आजादी के 6 4 वर्ष बाद भी हम गरीबों को रोजगार नहीं है। रोजगार के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) जैसा कानून बनाना पड़ता है। 100 दिन का रोजगार मिलता है, पूरे साल भर का गुजारा करना पड़ता है। हम गरीब है न इसलिए हमारी जिम्मेदारी कौन लेगा। ये कैसा लोकतंत्र है जिसमें कोई भी मेरी इस दुर्दशा की जिम्मेदारी ही लेने को तैयार नहीं है...। सबके सब मतलबी निकले..! काश! मैं भी मतलबी होता....!!

No comments:

Post a Comment