अच्छा हुआ छुक-छुक मंत्री ने इस्तीफा दे
दिया। इस जमाने में जब राजधानियां और शताब्दी जैसी गाडिय़ां दौड़ रही हैं
ऐसे में इनकी छुक-छुक को कौन सुनता? इनकी छुक-छुक से सभी की धकडऩे धक-धक कर
रही थीं। साहब डाँट ही नहीं खा रहे थे। जबसे रेल मंत्री बने तब से संभालना
ही मुश्किल हो रहा था। ममता बनर्जी ने कितनी ममता से इन्हें मंत्री बनाया
था। लेकिन जब रेल बजट दिया तो ममता भी छीन ली। सीधे इस्तीफा ही मांग लिया।
सच बताऊं तो मुझे भी यह मंत्री पसंद नहीं आए। खासतौर पर जब, जब इन्होंने
रेल बजट प्रस्तुत किया।
रेल बजट भी ऐसा जैसे हड़प्पा की खुदाई से निकाला हो। हमारे देश में जहां करोड़ों-लाखों रूपए की बातें होती हैं, घोटाले होते हैं, ऐसे में 2 पैसे, 5 पैसे को कौन जानता है। अब देखो न किलोमीटर के हिसाब से किराया बढ़ाया है। सामान्य श्रेणी में प्रतिकिलोमीटर 2 पैसे, स्लीपर में 5 पैसे, थर्ड एसी में 10 पैसे, सेकण्ड एसी में 15 और 20 पैसे एवं फस्र्ट एसी में 30 पैसे बढ़ाए हैं। सरकार में जहां करोड़ों की बात होती है वहां से पैसे में बात कर रहे हैं साहब। इनसे पहले वाले मंत्री अच्छे थे जिनका ध्यान पैसों पर नहीं करोड़ों पर रहता था। जेल में बंद पहले वाले संचार मंत्री ए.राजा को ही देख लो, पूरे 1 लाख 76 करोड़ का घोटाला करके बैठे हैं! कमलाड़ी को देखो राष्ट्रमण्डल खेल कराते-कराते 8 हजार करोड़ का ही खेल कर दिया! महाराष्ट्र के पुराने मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने सेना के अधिकारियों की विधवाओं के घर बनाते-बनाते 176 हजार करोड़ का घोटाला किया।
जिस देश में करोड़ों की बातें होती हों ऐसे में 2 पैसे, 5 पैसे वाले मंत्री को तुरंत हटा ही देना चाहिए था। इनके इस्तीफे 5 दिन लग गए, मैं सरकार में होता तो इनकी स्पीड को देखते हुए पहले ही इस्तीफा ले लेता। अभी भी छुक-छुक की तरह ही दौड़ रहे हैं। आजकल रेलगाडिय़ां कोयले से नहीं डीजल और बिजली से दौड़ रही हैं।
एक बात और जो मंत्री को नहीं बोलना चाहिए थी। मंत्री जी कह रहे हैं कि भारतीय रेलवे घाटे में जा रही है। हम कितने फटीचर हैं, यह दूसरों को बताने की जरूरत क्या है। एक ओर तो हम कह रहे हैं कि विदेशों में हमारा 25 लाख करोड़ रुपया कालेधन के रूप में जमा है। हम विश्वबैंक का कर्जा तीन बार चुका सकते हैं, ऐसे में बार-बार क्या रोना चाहिए। ऐसा करने से विश्व की नजरों में भारत की इमेज खराब होती है। ऐसा करेंगे तो विश्व की नजरों में हम सबसे बड़े गप्पेबाज साबित होंगे।
सच पूछो तो मुझे याद भी नहीं है कि मैंने 5 पैसे और 10 पैसे आखिरी बार कब देखे थे। हमारे बच्चे ही हमसे पूछरहे हैं कि ये 5 पैसे कैसे होते हैं? नए किस्म के बच्चों ने तो अभी तक इन सिक्कों को किस्सों में ही सुना है। नए जमाने में पुराने जमाने की बात करने वाले मंत्री से सबसे अधिक परेशानी बच्चों को ही हो रही थी। मंत्री जी 5 रुपए और 10 रुपए का किराया बढ़ाते तो शायद इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन 2 पैसे, 5 पैसे का हिसाब कैसे लगाया जाता है, यह अब किसी भी स्कूल में नहीं सिखाया जाता। रेल बजट के बाद नए बच्चे आज तक हिसाब नहीं लगा पाए हैं कि ग्वालियर से भोपाल जाने में कितने पैसे बढ़ेंगे? इसलिए अच्छा हुआ इन छुक-छुक महोदय से पीछा छूटा। लेकिन मुझे आज भी चिंता हो रही है। क्योंकि मैंने सुना है कि नया रेल मंत्री भी इन्हीं की पार्टी का रहने वाला है। अब तो चिंता हो रही है कि कहीं वह भी चवन्नी, अठन्नी वाली बात न कर दे, नहीं तो हमारी तो नाक ही कट जाएगी।
रेल बजट भी ऐसा जैसे हड़प्पा की खुदाई से निकाला हो। हमारे देश में जहां करोड़ों-लाखों रूपए की बातें होती हैं, घोटाले होते हैं, ऐसे में 2 पैसे, 5 पैसे को कौन जानता है। अब देखो न किलोमीटर के हिसाब से किराया बढ़ाया है। सामान्य श्रेणी में प्रतिकिलोमीटर 2 पैसे, स्लीपर में 5 पैसे, थर्ड एसी में 10 पैसे, सेकण्ड एसी में 15 और 20 पैसे एवं फस्र्ट एसी में 30 पैसे बढ़ाए हैं। सरकार में जहां करोड़ों की बात होती है वहां से पैसे में बात कर रहे हैं साहब। इनसे पहले वाले मंत्री अच्छे थे जिनका ध्यान पैसों पर नहीं करोड़ों पर रहता था। जेल में बंद पहले वाले संचार मंत्री ए.राजा को ही देख लो, पूरे 1 लाख 76 करोड़ का घोटाला करके बैठे हैं! कमलाड़ी को देखो राष्ट्रमण्डल खेल कराते-कराते 8 हजार करोड़ का ही खेल कर दिया! महाराष्ट्र के पुराने मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने सेना के अधिकारियों की विधवाओं के घर बनाते-बनाते 176 हजार करोड़ का घोटाला किया।
जिस देश में करोड़ों की बातें होती हों ऐसे में 2 पैसे, 5 पैसे वाले मंत्री को तुरंत हटा ही देना चाहिए था। इनके इस्तीफे 5 दिन लग गए, मैं सरकार में होता तो इनकी स्पीड को देखते हुए पहले ही इस्तीफा ले लेता। अभी भी छुक-छुक की तरह ही दौड़ रहे हैं। आजकल रेलगाडिय़ां कोयले से नहीं डीजल और बिजली से दौड़ रही हैं।
एक बात और जो मंत्री को नहीं बोलना चाहिए थी। मंत्री जी कह रहे हैं कि भारतीय रेलवे घाटे में जा रही है। हम कितने फटीचर हैं, यह दूसरों को बताने की जरूरत क्या है। एक ओर तो हम कह रहे हैं कि विदेशों में हमारा 25 लाख करोड़ रुपया कालेधन के रूप में जमा है। हम विश्वबैंक का कर्जा तीन बार चुका सकते हैं, ऐसे में बार-बार क्या रोना चाहिए। ऐसा करने से विश्व की नजरों में भारत की इमेज खराब होती है। ऐसा करेंगे तो विश्व की नजरों में हम सबसे बड़े गप्पेबाज साबित होंगे।
सच पूछो तो मुझे याद भी नहीं है कि मैंने 5 पैसे और 10 पैसे आखिरी बार कब देखे थे। हमारे बच्चे ही हमसे पूछरहे हैं कि ये 5 पैसे कैसे होते हैं? नए किस्म के बच्चों ने तो अभी तक इन सिक्कों को किस्सों में ही सुना है। नए जमाने में पुराने जमाने की बात करने वाले मंत्री से सबसे अधिक परेशानी बच्चों को ही हो रही थी। मंत्री जी 5 रुपए और 10 रुपए का किराया बढ़ाते तो शायद इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन 2 पैसे, 5 पैसे का हिसाब कैसे लगाया जाता है, यह अब किसी भी स्कूल में नहीं सिखाया जाता। रेल बजट के बाद नए बच्चे आज तक हिसाब नहीं लगा पाए हैं कि ग्वालियर से भोपाल जाने में कितने पैसे बढ़ेंगे? इसलिए अच्छा हुआ इन छुक-छुक महोदय से पीछा छूटा। लेकिन मुझे आज भी चिंता हो रही है। क्योंकि मैंने सुना है कि नया रेल मंत्री भी इन्हीं की पार्टी का रहने वाला है। अब तो चिंता हो रही है कि कहीं वह भी चवन्नी, अठन्नी वाली बात न कर दे, नहीं तो हमारी तो नाक ही कट जाएगी।
KIya kehna bhai apka toh 1 no.
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