मुख्यमंत्री जी सादर प्रमाण!
आप भले ही मुझे न जानते हों लेकिन मैं आपको जरुर जानता हूं। साथ ही यह भी जानता हूं कि पांच वर्षों में एक समय ऐसा आता है जब आप हमारे बारे में जानने के लिए गली-गली घूमते हैं। मैं आज शहर की एक सड़क से गुजर रहा था। ऐसा नहीं है कि मैं पहली बार इस सड़क से गुजर रहा था। यहां मैंने देखा कि जहां कुछ समय पहले गायें-भैंस गोबर करती थीं वहां आज डाम्बरीकरण किया जा रहा है। पान की दुकानों पर चुपके से सिगरेट पीने वाले यातायात पुलिसकर्मी भी लोगों को दिशा-निर्देश देते हुए नजर आए कि आज आप से मत जाइये आगे जाएंगे तो आपको आगे तकलीफ होगी। शराफत के इन शब्दों को सुनकर मैं घबरा गया। शहर की वीरान रहने वाली सड़क पर बिजली विभाग का कर्मचारी रंग बिरंगी झालर लगाकर झूठी चमक देने की कोशिश में लगा था। अधिकारियों के पीछे कर्मचारी ऐसे दौड़ लगा रहे थे कि मानों आज ये काम नहीं किया तो समझो नौकरी गई। बड़े-बड़े आलसी कर्मचारी जो अपने ऑफिसों में कामचोरों का खिताब पा चुके हैं, बड़ी फुर्ती में काम निपटा रहे हैं। साहब ने इधर कुछ कहा नहीं कि उधर कर्मचारी जी सर.... कहकर काम निपटा देता। यह नजारा मैं उसी रास्ते की साइड पर खड़ा-खड़ा देखकर रहा था जिसको चमकाने का काम मोटी चमड़ी वाले ठेकेदार कर रहे थे। मैं इससे पहले कुछ और देखता, मैं समझ गया कि जरुर आप आने वाले होंगे। स्कूटर स्टार्ट करके आगे चला ही था कि आपके कार्यकर्ताओं द्वारा आपके शहर आगमन पर स्वागत करते हुए वह बैनर भी दिखा जो एक खूबसूरत सी इमारत की दुर्दशा कर रहा था। हां लेकिन आपके आने भर की खबर से सड़क चमचमाने लगती हैं, अधिकारी, ठेकेदार और कर्मचारी सभी दौड़ भाग करने लगते हैं। आप आएंगे तो सड़के बनेंगी, नालियां साफ होंगी, मच्छरों को भगाने के लिए आस-पास चूना डाला जाएगा, यातायात व्यस्थित रहेगा, पुलिस, अधिकारी, कर्मचारी, बाबू सतर्क रहेंगे, कार्यक्रम स्थल एक किमोमीटर के आस-पास का क्षेत्र सुन्दर दिखाई देगा, महापुरुषों की प्रतिमाएं चमकने लगेंगी। इसलिए आपसे मेरा तो यही विनम्र निवेदन है कि क्या आप रोज हमारे शहर आ सकते हैं? रोज नहीं तो 15 दिन में एक बार, 15 दिन में नहीं तो 1 महीने में आ सकते हैं क्या? खैर छोड़ो मैं तो ऐसे ही भावुक हो गया। वो क्या है न....मुझसे अब पांच साल का इंतजार होता नहीं है।
आपका
आम नागरिक
आम नागरिक