Wednesday, November 9, 2011

गज़ल



तेरे चेहरे की आराईश1 का दिवाना हुआ हूँ
तुझे दीदार कराने मैं खुद आईना हुआ हूँ

है इश्क खता तो तू बेफिक्र होके कर
किसी से न डर मैं जुर्माना हुआ हूँ

तेरे होठों को छूने की  तमन्ना है बस
जी खोल के पी मैं खुद पैमाना हुआ हूँ

लुटा दे है जितनी मोहब्बत तेरे पास
मोहब्बत का मैं खुद खजाना हुआ हूँ

  
1. आराईश = सुन्दरता

No comments:

Post a Comment